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    '328 पावन स्वरूप विवाद में भ्रामक प्रचार', SGPC प्रमुख धामी का आरोप; 16 कर्मचारी हुए बर्खास्त

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 12:54 PM (IST)

    एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने 328 पावन स्वरूपों के विवाद पर कहा कि भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि 16 आरोपी कर्मचारियों को स ...और पढ़ें

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    एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने 328 पावन स्वरूपों के विवाद पर कहा कि भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। 328 पावन स्वरूपों के मामले को लेकर चल रहे विवाद पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि इस मामले में भ्रामक जानकारी दिखाई जा रही है, जबकि वास्तविक तथ्यों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

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    धामी ने कहा कि जिन 16 कर्मचारियों पर आरोप लगे थे, उन सभी पर एसजीपीसी के सेवा नियमों के तहत कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। अब उनका एसजीपीसी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक वे कर्मचारी एसजीपीसी में कार्यरत थे, तभी तक उनका रिश्ता था, लेकिन अब उनके खिलाफ गलत प्रचार किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि एसजीपीसी में करीब 22 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं और इतने बड़े प्रबंधन में अगर कहीं कोई गड़बड़ी होती है तो उसकी जांच नियमानुसार होती है। अगर किसी स्तर पर रसीद नहीं काटी गई या कोई अनियमितता हुई है, तो उसकी जांच पुलिस और संबंधित एजेंसियां करेंगी। नियमों में कहीं यह नहीं लिखा कि हर मामले में सीधे पुलिस को ही सौंपा जाए।

    एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। धामी ने बताया कि जिन 16 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया था, वे हाईकोर्ट गए थे, लेकिन 17 तारीख को आए फैसले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि एसजीपीसी ने सेवा नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की है। अदालत ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।

    उन्होंने यह भी कहा कि इसके बाद सद्भावना जत्थे के बलविंदर सिंह द्वारा एक और याचिका दायर की गई, जिसमें पूर्व एसजीपीसी प्रधानों के नाम भी शामिल किए गए। इस पूरे मामले में एसजीपीसी और पंजाब सरकार आमने-सामने हैं।

    जहां मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को सही ठहराया है, वहीं एसजीपीसी इसका विरोध कर रही है। धामी ने दोहराया कि 328 पावन स्वरूपों के मामले में एसजीपीसी ने नियमानुसार कार्रवाई की है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं गया।