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    गुरुनानक देव अस्पताल में मरीजों को चढ़ाए गए ग्लूकोज में मिले बैक्टीरिया, जांच में हुआ चौंका देने वाला खुलासा

    Updated: Sat, 19 Apr 2025 01:56 PM (IST)

    अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल में ग्लूकोज से हुए रिएक्शन का कारण ग्लूकोज में बैक्टीरियल एंडोटोक्सिन पाया जाना है। बैच नंबर एलवी-979 जीवाणुरहित मानकों पर खरा नहीं उतरा। इस बैच में जीवाणुओं की संख्या अधिक थी जिससे मरीजों को परेशानी हुई थी। स्वास्थ्य विभाग कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करेगा जिसमें लाइसेंस रद्द होना और जुर्माना लगाना भी शामिल है।

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    ग्लूकोस की जांच के बाद पाया गया बैक्टीरिया (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    नितिन धीमान, अमृतसर। गुरुनानक देव अस्पताल में ग्लूकोज से मरीजों को हुए रिएक्शन की वजह सामने आ गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल में भेजे गए ग्लूकोज के बैच नंबर एलवी-979 में बैक्टीरियल एंडोटोक्सिन पाया गया है।

    यह ग्लूकोज जीवाणु रहित के मानकों को पूरा नहीं करता। इस बैच के ग्लूकोज में जीवाणुओं की संख्या पाई गई है। जिससे मरीजों को शारीरिक रूप से विषमताओं का सामना करना पड़ा। दूसरी तरफ बैच नंबर एलवी 4972 ग्लूकोज गुणवत्ता के मानकों में खरा उतरा है।

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    एलवी 4979 बैच के नॉर्मल स्लाइन ग्लूकोज 500 एमएल सोडियम क्लोराइड इंजेक्शन आईपी 0.9 डब्ल्यू/वी में पाए गए बैक्टीरियल एंडोटोक्सिन के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। हालांकि विभाग ने मरीजों को रिएक्शन होने के तत्काल बाद ही यह ग्लूकोज मंगवा लिया था।

    हिमाचल प्रदेश के बद्दी की कंपनी द्वारा यह ग्लूकोज तैयार किया गया था। अब पंजाब व केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से कंपनी के खिलाफ नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

    लाइसेंस रद हो सकता है, जुर्माना व जेल का भी प्रावधान

    दवा निर्माता कंपनियों के उत्पाद मादक गुणवत्ता के न पाए जाने पर उनके खिलाफ ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 तथा पंजाब मैन्युफैक्चर्ड ड्रग्स रूल्स 1959 के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। इसके अंतर्गत दवा निर्माता का लाइसेंस रद अथवा निलंबित किया जा सकता है। दवा निर्माता को जुर्माना और जेल भी हो सकती है।

    केंद्र की टीम करेगी कार्रवाई : ड्रग इंस्पेक्टर

    ड्र्रग इंस्पेक्टर सुखदीप सिद्धू के अनुसार इस मामले में कार्रवाई के लिए पंजाब व केंद्र के बीच विचार किया जा रहा है। चूंकि ग्लूकोज के सैंपल केंद्रीय टीम ने लिए थे, इसलिए कार्रवाई भी उनकी ओर से की जाएगी। हम केंद्रीय टीम के संपर्क में हैं। ऐसे मामलों में कंपनी का लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है वहीं कंपनी के खिलाफ अदालत में केस दायर किया जा सकता है।

    क्या है ग्लूकोज के गुणवत्ता मानक

    ग्लूकोज एक ऐसा द्रव्य है जो मरीज के शरीर में उुर्जा का संचार करता है। दवा कंपनियों द्वारा ग्लूकोज तैयार करने के बाद सबसे आवश्यक यह है कि बोतल को भीतर से वैक्यूम किया जाता है, ताकि बोतल में हवा न रहे। इसके बाद स्ट्रलाइजेशन की जाती है, ताकि किसी भी प्रकार का जीवाणु अथवा विषाणु बोतल में न रह जाए।

    तीसरा जरूरी पहलू यह है कि ग्लूकोज की बोतल को निर्धारित तापमान में स्टोर करना होता है। ऐसा माना जा रहा है कि उपरोक्त बैच की बोतलों में इनमें से किन्हीं नियमों का पालन नहीं किया गया, इसलिए बैक्टीरियल एंडोटोक्सिन की मात्रा पाई गई है।

    यह है मामला

    इसी वर्ष 13 मार्च को मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग द्वारा संचालित गुरुनानक देव अस्पताल में नॉर्मल स्लाइन ग्लूकोज लगाते ही मरीजों को रिएक्शन हो गया। यह रिएक्शन इतना तीव्र था कि मरीजों का शरीर कांपने लगा और त्वचा पर दाने उभर आए। मरीजों को तड़पता देखकर अस्पताल में हड़कंप मच गया। डॉक्टरों ने मरीजों को तत्काल हाइड्रोकोटिसोन इंजेक्शन लगाया। इसके बाद मरीजों की स्थिति सामान्य होने लगी।

    इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने नॉर्मल स्लाइन ग्लूकोज का सारा स्टॉक सील कर दिया था और ट्रक में लोड कर चंडीगढ़ भेजा गया है। इसके साथ ही संगरूर में भी मरीजों को ग्लूकोज रिएक्शन हुआ था।

    विशेष बात यह है कि ग्लूकोज की बोतलों पर लैबोरेट्री जांच की मोहर भी लगी थी। नॉर्मल स्लाइन की जांच दो लैबोरेट्री से करवाई गई थी। रिपोर्ट में कोई कंटेमिनेशन यानी संदूषण नहीं पाया गया था। इसके बाद केंद्रीय ड्रग विभाग की टीम ने ग्लूकोज के सैंपल जांच के लिए भरे थे और अब इनकी रिपोर्ट आई है।

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