'बहुत ठेस पहुंची...', श्री केसगढ़ साहिब में कुलदीप सिंह गड़गज की ताजपोशी से क्यों नाराज हुए ज्ञानी रघबीर सिंह?
श्री केसगढ़ साहिब के नवनियुक्त जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की ताजपोशी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने ताजपोशी और मर्यादा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति गुप्त रूप से की गई थी और बिना गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश के पालकी साहिब को वहां नमन किया गया।

जागरण संवाददाता, अमृतसर। एसजीपीसी अंतरिम कमेटी द्वारा नियुक्त श्री अकाल तख्त साहिब (Shri Akal Takht Sahib) और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की तख्त श्री केसगढ़ साहिब में ताजपोशी की गई। ताजपोशी को लेकर सिख समुदाय में कई सवाल उठ रहे हैं।
श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार एवं श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज की ताजपोशी और मर्यादा पर कई सवाल उठ रहे हैं। देश-विदेश से उन्हें फोन करके इस बारे में पूछा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर इस पर कोई एतराज नहीं जताना चाहेंगे, क्योंकि वह नहीं चाहते कि दरबार साहिब में बाबा बुड्ढा साहिब जी की पावन गद्दी पर हेड ग्रंथी के विराजमान होने पर कोई एतराज उठाए।
कैसे नियुक्त होता है जत्थेदार?
उन्होंने कहा कि मैं संगत को बताना चाहूंगा कि जब कोई जत्थेदार नियुक्त होता है तो उसका ताजपोशी बड़े सम्मान के साथ की जाती है और इस बारे में अखबारों में विज्ञापन दिए जाते हैं और बाद में निहंग सिंह संगठनों, टकसालों व संप्रदायों तथा संत महापुरख उदासी निर्मला को संदेश भेजे जाते हैं कि यह स्थान सभी से ऊपर है।
जत्थेदार साहब की ताजपोशी की जाती है और गुरु की उपस्थिति में गुरमत समागम होता है। उसके बाद प्रमुख व्यक्ति विचार रखते हैं। गुरु के चरणों में अरदास की जाती है। हुक्मनामा दिया जाता है, कड़ाह प्रसाद परोसा जाता है और उसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब पर जत्थेदार साहब का ताजपोशी समारोह होता है।
फिर श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी पहली दस्तार देते हैं और उसके बाद वहां पहुंचे संप्रदाय भी दस्तार देते हैं। इस प्रक्रिया के पश्चात श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की ताजपोशी होती है। श्री अकाल तख्त साहिब से ही तख्त श्री केशगढ़ साहिब तथा तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार की घोषणा भी श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार द्वारा की जाती है।
'दो दिनों में जो हुआ, उससे दिल को ठेस पहुंची'
ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि पिछले दो दिनों में जो कुछ हुआ है, उससे भी संगत के दिल को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति गुप्त रूप से की गई थी और बिना गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश के पालकी साहिब को वहां नमन किया गया और उस समय शस्त्र भी अच्छी हालत में नहीं थे।
उन्होंने कहा कि यह मर्यादा का बहुत बड़ा उल्लंघन है और सचखंड श्री दरबार साहिब के हेड ग्रंथी के तौर पर मैंने यह जानकारी संगत के साथ साझा की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सिख समुदाय में शिष्टाचार को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं, वह बहुत बड़ी अनियमितता है और पंथ में जो रोष पनप रहा है, वह स्वाभाविक है।
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