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    तख्तों के जत्थेदारों को हटाने के फैसले पर SAD में उठे बगावत के सुर, कई नेताओं सहित मजीठिया ने भी जताई असहमति

    पंजाब में श्री अकाल तख्त साहिब और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदारों को हटाने के फैसले से शिरोमणि अकाली दल में बगावत के सुर उठने लगे हैं। बिक्रम सिंह मजीठिया सहित कई नेताओं ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि वे श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा का बहुत सम्मान करते हैं और अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करते रहेंगे।

    By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 08 Mar 2025 09:55 PM (IST)
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    Punjab Politics: बिक्रम सिंह मजीठिया और सुखबीर सिंह बादल (जागरण ग्राफिक्स)

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह को उनके पदों से हटाए जाने के बाद शिरोमणि अकाली दल में बड़े स्तर पर बगावत के सुर उठने लगे हैं।

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    शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के करीबी रिश्तेदार बिक्रम सिंह मजीठिया सहित कई नेताओं ने कल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अंतरिम समिति द्वारा दो जत्थेदारों को हटाने के फैसले पर अपनी असहमति व्यक्त की है।

    पिछले दिनों से चल रही अकाली दल की उठापटक में अब तक चुपी साधे हुए बिक्रम मजीठिया के बयान से इस बात को भी बल मिला है कि बादल परिवार में सब कुछ अच्छा नहीं है।

    पंजाब में अकाली नेताओं का इस्तीफों का दौर

    मजीठिया के फैसले से अकाली दल में हलचल मच गई है और पंथक हलकों में नई चर्चा शुरू हो गई है। पिछले दो दिनों से विभिन्न जिलों से अकाली नेताओं के इस्तीफों का दौर चल रहा है। हरियाणा समेत पंजाब के कई नेताओं ने विरोध स्वरूप इस्तीफा दे दिया है।

    लेकिन जिस तरह से अब बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी अपना विरोध दर्ज करवाया है, उससे अकाली दल के अंदर बड़ी बगावत के आसार बन गए हैं।

    हालांकि, अकाली नेतृत्व पार्टी की भर्ती के बारे में श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले को खारिज करने के लिए कानूनी बिंदुओं का हवाला दे रहा है, लेकिन आज मजीठिया ने साफ तौर पर कहा है कि अकाली दल का गठन श्री अकाल तख्त साहिब में हुआ था।

    क्या बोले अकाली दल के नेता?

    मजीठिया ने शिरोमणि अकाली दल को बचाने के लिए सभी दलों से एक मंच पर आने की अपील की है। अकाली नेताओं ने एक बयान में कहा कि गुरुओं ने सिख संगत को गुरु का दर्जा दिया है और शुक्रवार को लिए गए फैसले से सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

    उन्होंने कहा कि वे सिख संगत की भावनाओं की सराहना करते हुए संगत के साथ खड़े हैं। अकाली नेताओं ने राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि अकाली दल को बचाने के लिए एक मंच पर आने की अपील की है।

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    'श्री अकाल का सम्मान आखिरी सांस तक'

    पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया, शरणजीत सिंह ढिल्लों, पूर्व विधायक लखबीर सिंह लोधीनंगल, जोध सिंह समरा हलका इंचार्ज अजनाला, सरबजोत सिंह साबी हलका इंचार्ज मुकेरियां, रमनदीप सिंह संधू जिला अध्यक्ष गुरदासपुर, सिमरजीत सिंह ढिल्लों युवा नेता ने संयुक्त प्रेस बयान में कहा है कि वे श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा का बहुत सम्मान करते हैं और अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करते रहेंगे।

    अकाली नेताओं ने कहा कि तख्त साहिब की गरिमा किसी व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं है, इस तख्त पर जो भी विराजमान है, हम उसका सम्मान करते हैं और सभी का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है।

    अकाली नेताओं ने कहा कि सिख संगत अंतरिम समिति द्वारा लिए गए निर्णय से सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि गुरु संगत की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हम भी इस फैसले से सहमत नहीं हैं। अकाली नेताओं ने कहा कि पिछले काफी समय से हो रहे घटनाक्रम से परेशान हैं।

    'परिस्थितियों के लिए हम खुद जिम्मेदार'

    अकाली नेताओं ने कहा कि पिछले दिनों जो स्थिति उत्पन्न हुई है उसके लिए हम सभी समान रूप से जिम्मेदार हैं, चाहे वे सुधार आंदोलन से जुड़े लोग हों या कुछ पंथक लोग। अकाली नेताओं ने कहा कि हम उन सभी स्थितियों से बचते रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि शहीदों के संगठन शिरोमणि अकाली दल की स्थापना श्री अकाल तख्त साहिब से हुई थी। अकाली दल को टूटने से बचाने के लिए सभी को एक राय बनाने की जरूरत है।

    अकाली नेताओं ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा व गरिमा को बनाए रखना हम सबका कर्तव्य है। पिछले कुछ दिनों से जो स्थिति बनी हुई है, उससे अकाली दल के हर कार्यकर्ता के मन में काफी चिंता पैदा हो गई है।

    'आपसी तनाव के कारण उत्पन्न हुए हालात'

    अकाली नेताओं ने कहा कि यह घटना आपसी तनाव के कारण हुई है। इससे पंथ विरोधी ताकतें मजबूत हुई हैं। आज पंथक एकता और शिरोमणि अकाली दल को मजबूत करने की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल को हुए भारी नुकसान पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

    उन्होंने सभी अकाली नेताओं से अपील की है कि वे अपने मतभेद व दुश्मनी भुलाकर खुले दिल से काम लें, पार्टी के हितों को ध्यान में रखें तथा प्रत्येक कार्यकर्ता की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक मंच पर आएं।

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