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    Punjab News: सिख प्रचारक रणजीत सिंह ढडरियांवाला ने मांगी माफी, क्षमा याचना स्वीकार, जानिए क्या है पूरा मामला

    सिख प्रचारक भाई रणजीत सिंह ढडरियांवाला ने श्री अकाल तख्त साहिब में पेश होकर माफी मांगी जिसे स्वीकार कर लिया गया। उन्हें सिख धर्म का प्रचार सिख आचार संहिता के अनुसार करने का आदेश दिया गया है। साथ ही उन्हें गुरु के सरोवरों के खिलाफ कोई बयान नहीं देने और सिख समुदाय को एकजुट करने का निर्देश दिया गया है।

    By Jagran News Edited By: Suprabha Saxena Updated: Wed, 21 May 2025 04:48 PM (IST)
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    सिख प्रचारक भाई रणजीत सिंह ढडरियांवाला ने मांगी माफी

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। सिख प्रचारक भाई रणजीत सिंह ढडरियांवाला ने श्री अकाल तख्त साहिब में पेश होकर पांच सिंह साहिबानों के समक्ष अपना पक्ष रखा। उन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब तथा गुरु पंथ से लिखित क्षमा मांगी। पांचों सिंह साहिबानों ने उनका पक्ष सुनने के बाद क्षमा याचना स्वीकार कर ली।

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    ढडरियांवाला को श्री गुरु ग्रंथ साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब, पंथक परंपराओं और रीति-रिवाजों द्वारा अनुमोदित सिख आचार संहिता के अनुसार ही सिख धर्म का प्रचार करने का आदेश दिया गया है। भाई रणजीत सिंह को यह भी निर्देश दिया गया है कि गुरु के तीर्थस्थान सिख जीवन शैली को आकार देने के स्रोत हैं और गुरु द्वारा स्वयं निर्मित पवित्र सरोवर समस्त मानवता को एकता का संदेश देते हैं, इसलिए सरोवरों के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया जाना चाहिए।

    गुरु की बाणी सुनाई जाए

    गुरु के प्रति भक्ति की भावना पैदा करने वाली गुरु की बाणी सुनाई जाए। सिख प्रचार मंच के माध्यम से पूरे सिख समुदाय को एकजुट करने का प्रयास किया जाना चाहिए और किसी भी संगठन के खिलाफ कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। इसके साथ ही पांच सिंह साहिबानों ने ढडरियांवाला के समागमों का बहिष्कार करने का आदेश वापस ले लिया गया। फैसला सुनाए जाने के दौरान ढंडरियांवाले हाथ जोड़कर खड़े रहे। उन्होंने बिना शर्त इस फैसले को स्वीकार किया।

    बैठक में लिए गए विभिन्न निर्णय

    बुधवार को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज के नेतृत्व में श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय में पांच सिंह साहिबानों की बैठक हुई। बैठक में विभिन्न मामलों पर विचार करने के बाद महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस दौरान श्री हरिमंदिर साहिब के ग्रंथी ज्ञानी राजदीप सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार बाबा टेक सिंह, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जोगिंदर सिंह और ग्रंथी ज्ञानी गुरबख्शीश सिंह उपस्थित थे।

    बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें हेमिलटन कनाडा स्थित गुरुद्वारा साहिब बाबा बुड्ढा जी की प्रबंधक कमेटी की ओर से गुरुद्वारा साहिब में रह रहे सिख शहीद डॉ गुरप्रीत सिंह निवासी लुधियाना की पत्नी परमिंदर पाल कौर एवं उनके पारिवारिक सदस्यों को परेशान करने का विषय उठाया गया। श्री अकाल तख्त साहिब में आई शिकायत में यह भी स्पष्ट हुआ कि इस गुरुद्वारा की प्रबंधक कमेटी के सदस्य पतित हैं। यह श्री अकाल तख्त साहिब के नियमों के विपरीत है।

    पांचों सिंह साहिबानों ने निर्णय लिया कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष संत सिंह श्री अकाल तख्त साहिब में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे। प्रबंधक कमेटी के शेष सदस्य कोषाध्यक्ष कुलविंदर सिंह मुल्तानी और सचिव जस सोहल अपनी बात लिखित रूप में श्री अकाल तख्त साहिब के सचिवालय को भेजें। जब तक वे अपना पक्ष नहीं रखते, उनकी सेवाएं निलंबित रहेंगी।

    गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यह सुनिश्चित करे कि बीबी परमिंदरपाल कौर को गुरुद्वारा साहिब में ही उचित सेवा एवं आवास उपलब्ध कराया जाए तथा उनके परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रबंधन कमेटी की होगी। कनाडा के सिख समुदाय को श्री अकाल तख्त साहिब के इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

    बैठक में ज्ञानी बलदेव सिंह और गुरदयाल सिंह के मामले पर चर्चा

    बैठक में ज्ञानी बलदेव सिंह और ज्ञानी गुरदयाल सिंह के मामले पर चर्चा की गई। श्री अकाल तख्त साहिब जी के आदेशानुसार तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब की प्रबंधक कमेटी को आदेश दिया गया कि वह वहां के अतिरिक्त हेड ग्रंथी भाई बलदेव सिंह में पंज प्यारे नियुक्त करें तथा पांच दिनों के अंदर पांचों बाणियों का मौखिक पाठ सुनकर उसकी वीडियोग्राफी श्री अकाल तख्त साहिब को भेजें। ग्रंथी भाई गुरदयाल सिंह की सेवाएं तख्त श्री पटना साहिब से तत्काल स्थानांतरित करने का भी आदेश जारी किया गया।

    तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब की प्रबंधक कमेटी को आदेश दिया गया कि वह कमेटी के अध्यक्ष सहित श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष अपनी स्थिति प्रस्तुत करें। भाई बलदेव सिंह और भाई गुरदयाल सिंह को भी श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया। तब तक उनकी पंथक सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया जाता है।

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