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    जिस लुटिया से PM मोदी ने महाकुंभ में किया जलाभिषेक, क्या है उसकी खासियत? अमृतसर के बाजार में खूब बढ़ रही है मांग

    Updated: Sun, 09 Feb 2025 06:55 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ में त्रिवेणी तट पर जलाभिषेक के लिए अमृतसर के ठठेरा बाजार से बनी तांबे की लुटिया का उपयोग किया। इसने अमृतसर के हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है। ठठेरा बाजार को 2014 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया गया था। यह बाजार पीतल तांबे और कांसे के बर्तन बनाने के लिए प्रसिद्ध है।

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    महाकुंभ में चमकी अमृतसर की लुटिया, बर्तन बनाते ठठेरा। जागरण फोटो

    दिनेश बजाज, अमृतसर। महाकुंभ में त्रिवेणी तट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जलाभिषेक करते ही अमृतसर का हस्तशिल्प चमक उठा। जलाभिषेक के लिए उन्होंने जांडियाला गुरु स्थित ठठेरा बाजार में बनी तांबे की लुटिया का प्रयोग किया और 'विकास के साथ-साथ विरासत' के प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करने का संदेश दिया।

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    हाथ से पीतल, तांबे और कांसे के बर्तन बनाने के लिए प्रसिद्ध इस बाजार को वर्ष 2014 में यूनेस्को की तरफ से 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' का दर्जा मिल चुका है। पंजाब में ठठेरे ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के रूप में सूचीबद्ध हैं और धातुओं को अलग-अलग आकारों में ढालना उनका पारंपरिक पेशा है। लगभग सौ परिवार इससे जुड़े हुए हैं और अपने पुरखों से मिली विरासत को संवारने, संभालने का कार्य कर रहे हैं।

    200 साल पुरानी कला जीवित

    अमृतसर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित ठठेरा बाजार में हाथ से बनाए जाने वाले पीतल, तांबे और कांसे के बर्तन देश-विदेश में प्रसिद्ध है। यहां ठक-ठक की आवाज दिनभर गूंजती है। ठठेरा समुदाय 200 साल पुरानी इस कला को जीवित रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। यहां पर बनाए जाने वाले बर्तन अभी भी कला के क्षेत्र में अपनी चमक बनाए रखने में सफल हैं।

    जनवरी 2023 में पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने करीब साढ़े 12 करोड़ की लागत से बाजार को हेरिटेज लुक में तैयार करवाया था। सभी दुकानों के बाहर एक जैसा पेंट करवाया गया और बोर्ड लगवाए गए थे। साथ ही 'विरासती ठठेरा दरवाजा' का निर्माण करवाया था, ताकि इसकी पहचान को और जीवंत रखा जा सके।

    ठठेरे में खुशी

    पिछले कुछे दशकों से स्टील लोकप्रियता भले ही बढ़ गई है, लेकिन यहां हाथ से बनाए जाने वाले बर्तन अभी भी देश भर में पसंद किए जाते हैं। यहां तक कि विदेश में बसने वाले एनआरआई भी जब पंजाब आते हैं तो शौक से यहां के पीतल और तांबे के बने बर्तन ले जाते हैं।

    जबसे प्रधानमंत्री ने यहां की बनी लुटिया से संगम तट पर जलाभिषेक किया है, तब से यहां आने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ गई है। इस बात से यहां के ठठेरे भी अत्यंत प्रसन्न हैं। उनका कहना है कि उनकी कला को इसी तरह और प्रचारित और प्रसारित करने की आवश्यकता है।

    सरकार की तरफ से मिलती है मदद

    ठठेरा बाजार में बर्तनों की दुकान चलाने वाले दुकानदार अशोक कुमार मल्होत्रा, बृज लाल मल्होत्रा, प्यारा लाल, राज कुमार, राकेश कुमार, जवाहर लाल ने बताया कि करीब तीस से चालीस वर्ष पूर्व सरकार की तरफ से कारीगरों को लकड़ी, कोयला, सुहागा और अन्य कच्चा माल निशुल्क या फिर बहुत ही रियायती दरों पर मुहैया करवाया जाता था। यह क्रम धीरे-धीरे बंद कर दिया गया है, इसे फिर से शुरू किया जाना चाहिए।

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