51 बार नाक रगड़कर माफी और 10 दिन तक जोड़ा घर की सेवा, अमृतसर में धार्मिक ग्रंथ के पन्नों में फूल बेचने पर फूलवाले को मिली सजा
अमृतसर के श्री दुग्र्याणा तीर्थ में फूल विक्रेता द्वारा धार्मिक ग्रंथ के पृष्ठों पर फूल बेचने का मामला सामने आया। विक्रेता को धार्मिक सजा सुनाई गई है जिसमें भगवान लक्ष्मी नारायण के दरबार में क्षमा याचना और 10 दिन की सेवा शामिल है। कमेटी उपाध्यक्ष ने सनातन परंपरा को ठेस पहुंचने की बात कही। विक्रेता ने अपनी गलती स्वीकार की।

संवाद सहयोगी, अमृतसर। श्री दुग्र्याणा तीर्थ के परिसर मे फूल विक्रेता द्वारा धार्मिक ग्रंथ के पृष्ठ पर फूल रखकर भक्तों को देने का मामला का समाधान हो गया है। फूल विक्रेता को धार्मिक सजा लगाई गई है। धार्मिक सजा में फूल विक्रेता ने भगवान श्री लक्ष्मी नारायण के दरबार में 51 बार नाक रगड़कर क्षमा मांगने तथा इसके अलावा उनको संत समाज द्वारा 10 दिन तक सुबह कथा शाम को जोड़ा घर की सेवा करने की सजा लगाई है।
कमेटी के उपाध्यक्ष सोमदेव शर्मा ने मसला उठाया था कि धार्मिक पुस्तक के पन्नों को फाड़कर उसमें फूल रखकर बेचे जा रहे हैं जिससे सनातन परंपरा को ठेस पहुंची है। इस संबंध में पुलिस प्रशासन को भी शिकायत पत्र दिया गया है। उन्होंने कहा कि सोमवार को उनके सामने यह बात आई थी कि एक फूल वाला धार्मिक ग्रंथ के पन्नों को फाड़ कर उसमें फूल रखकर बेच रहा है ।
इस मामले को लेकर बुधवार को श्री दुग्र्याणा कमेटी में बैठक की गई बैठक में कमेटी के जगद्गुरु स्वामी अशनील जी महाराज उपाध्यक्ष श्रीधर रमेश कपूर, सोमदेव शर्मा, संयुक्त सचिव रोहित खन्ना, आदर्श शर्मा चैयरमेन यात्री निवासी हरकेश पाठक उपाध्यक्ष शीतला माता मंदिर एडीसीपी विशालजीत सिंह तथा एसीपी प्रवेश चोपड़ा शामिल थे। बैठक में फूल विक्रेता भी शामिल था। बैठक में धार्मिक सजा लगाई गई जगतगुरु स्वामी अशनील जी महाराज ने कहा कि फूल विक्रेता ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है तथा उनका धार्मिक सजा लगाई गई है।
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