AAP को बड़ा झटका: 20 विधायकों की सदस्यता रद, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में 'आप' के 20 विधायकों की सदस्यता रद हो गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग के फैसले को मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में 'आप' के 20 विधायकों की सदस्यता रद हो गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग के फैसले को मंजूरी दे दी है। सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से सिफारिश की थी 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए। चुनाव आयोग का मानना था कि 'आप' के विधायक 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' के दायरे में आते हैं।
'आप' ने उठाए सवाल
'आप' नेता गोपाल राय ने कहा है कि हमने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए राष्ट्रपति से समय की मांग की थी और हमें ये जवाब मिला कि राष्ट्रपति महोदय फिलहाल दिल्ली में नहीं है। जबकि खबर आ रही है कि विधायकों की अयोग्यता की सिफारिश पर राष्टपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इससे पहले 20 विधायकों को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित किए जाने की खबरों के बाद आम आदमी पार्टी ने आयोग की प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए थे। पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि कोई भी विधायक लाभ के पद पर नहीं था। ना किसी के पास गाड़ी थी, ना बंगला था ना ही किसी को एक रुपया सैलरी दी गई।
अलका लांबा ने जताई नाराजगी
आम आदमी पार्टी की नेता अलका लांबा ने भी सदस्यता रद हाेने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को इस संबंध में फैसला लेने से पहले हमें एक मौका देना चाहिए था। लांबा ने कहा कि संसदीय सचिव रहते हुए उनकी तनख्वाह एक रुपये अलग से नहीं बढ़ी। अलका ने कहा उन्हें इस मामले में न्याय की उम्मीद है, न्यायपालिका के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं।
भाजपा ने सीएम केजरीवाल को घेरा
भारतीय जनता पार्टी ने भी चुनाव आयोग के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि जनता को 'आप' का भ्रष्टाचार दिख रहा है। सरकार का भ्रष्टाचार बेनकाब हुआ है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।
केजरीवाल के इस्तीफे की मांग
कांग्रेस की शर्मिष्ठा मुखर्जी ने चुनाव आयोग की सिफारिश का स्वागत करते हुए इसे आम आदमी पार्टी द्वारा किया गया गैर कानूनी काम करार दिया था। कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा था कि नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इन विधायकों को इस्तीफा दे देना चाहिए। माकन ने केजरीवाल के इस्तीफे की मांग भी की थी।
कब-कब क्या हुआ
- 13 मार्च 2015 को अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था।
- मई 2015 में चुनाव आयोग के समक्ष डाली गई थी एक जनहित याचिका।
- 19 जून 2015 को प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद करने के लिए आवेदन किया।
- 8 सितंबर 2016 को अदालत ने 21 'आप' विधायकों की संसदीय सचिवों के तौर पर नियुक्तियों को खारिज कर दिया था। अदालत ने पाया था कि इन विधायकों की नियुक्तियों का आदेश उपराज्यपाल की सहमति के बिना दिया गया था।
- 22 जून 2017 को राष्ट्रपति की ओर से यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह 'लाभ का पद' है इसलिए 'आप' विधायकों की सदस्यता रद की जानी चाहिए। तब चुनाव आयोग ने 'आप' विधायकों को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया और उन्हें तकरीबन छह माह का समय दिया था।
ये है पूरा मामला
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह 'लाभ का पद' है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद की जानी चाहिए।
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इन 20 विधायकों की सदस्यता हुई रद
1. आदर्श शास्त्री, द्वारका
2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
3. नरेश यादव, महरौली
4. अल्का लांबा, चांदनी चौक
5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. शरद चौहान, नरेला
12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. सोम दत्त, सदर बाज़ार
15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
17. मनोज कुमार, कोंडली
18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
19. सुखबीर दलाल, मुंडका
20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़
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