गंभीर संकट में 'आप', कपिल बोले- पैसों के लालच में अंधे हो चुके थे केजरीवाल
कपिल ने ट्वीट कर कहा कि एक आदमी के लालच के कारण खत्म हुई 20 MLAs की सदस्यता - केजरीवाल पैसों के लालच में अंधे हो चुके थे।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में 'आप' के 20 विधायकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपित से सिफारिश की है कि इन 20 विधायकों को अयोग्य घोषित की जाए। चुनाव आयोग का मानना है कि 20 विधायक 'ऑफिस ऑफ प्रॉफिट' के दायरे में आते हैं।
केजरीवाल पर भड़के कपिल
आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की सदस्यता को लेकर 'आप' के पूर्व नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर करारा प्रहार किया है। कपिल ने ट्वीट कर कहा कि एक आदमी के लालच के कारण खत्म हुई 20 MLAs की सदस्यता - केजरीवाल पैसों के लालच में अंधे हो चुके थे।
चुनाव आयोग पर भड़की 'आप'
20 विधायकों को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य घोषित किए जाने की खबरों के बाद आम आदमी पार्टी ने आयोग की प्रक्रिया पर ही सवाल उठा दिए हैं। पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कोई भी विधायक लाभ के पद पर नहीं था। ना किसी के पास गाड़ी थी, ना बंगला था ना ही किसी को एक रुपया सैलरी दी गई। सौरभ ने यह भी कहा कि किसी के पास इस बात का प्रमाण नहीं है न ही कोई बैंक ट्रांजेक्शन ही ये दिखाता है कोई पैसा लिया या फिर दिया गया। यह कैसे लाभ का पद हो सकता है।
भाजपा ने सीएम केजरीवाल को घेरा
भारतीय जनता पार्टी ने भी चुनाव आयोग के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि जनता को 'आप' का भ्रष्टाचार दिख रहा है। सरकार का भ्रष्टाचार बेनकाब हुआ है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अब पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।
केजरीवाल के इस्तीफे की मांग
कांग्रेस की शर्मिष्ठा मुखर्जी ने चुनाव आयोग की सिफारिश का स्वागत करते हुए इसे आम आदमी पार्टी द्वारा किया गया गैर कानूनी काम करार दिया। कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इन विधायकों को इस्तीफा दे देना चाहिए। माकन ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करेगी और केजरीवाल के इस्तीफे की मांग करेगी।
ये है पूरा मामला
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह 'लाभ का पद' है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद की जानी चाहिए।
इससे पहले मई 2015 में इलेक्शन कमीशन के पास एक जनहित याचिका भी डाली गई थी। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि विधायकों को संसदीय सचिव बनकर कोई 'आर्थिक लाभ' नहीं मिल रहा। इस मामले को रद करने के लिए 'आप' विधायकों ने चुनाव आयोग में याचिका लगाई थी। वहीं, राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इन्कार कर दिया था। इस विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था।
राष्ट्रपति ने किया था खारिज
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केजरीवाल सरकार द्वारा मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाने के लिए दिल्ली विधानसभा सदस्यता संशोधन अधिनियम 2015 को मंजूरी नहीं दी । इन्हें लाभ के पद से बाहर रखने के लिए केजरीवाल सरकार ने पिछले साल ही विधानसभा से पारित कर दिया था। जिसे उपराज्यपाल नजीब जंग ने राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया था।
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कौन हैं विधायक और कहां से चुने गए हैं
1- आदर्श शास्त्री- द्वारका
2- अलका लांबा- चांदनी चौक
3- संजीव झा- बुराड़ी
4- कैलाश गहलोत- नजफगढ़
5- विजेंदर गर्ग- राजेंद्र नगर
6- प्रवीण कुमार- जंगपुरा
7- शरद कुमार चौहान- नरेला
8- मदन लाल खुफिया- कस्तुरबा नगर
9- शिव चरण गोयल- मोती नगर
10- सरिता सिंह- रोहतास नगर
11- नरेश यादव- मेहरौली
12- राजेश गुप्ता- वजीरपुर
13- राजेश ऋषि- जनकपुरी
14- अनिल कुमार बाजपेई- गांधी नगर
15- सोम दत्त- सदर बाजार
16- अवतार सिंह- कालकाजी
17- सुखवीर सिंह डाला- मुंडका
18- मनोज कुमार- कोंडली (सुरक्षित)
19- नितिन त्यागी- लक्ष्मी नगर
20- जरनैल सिंह- रजौरी गार्डेन
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