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2012 Nirbhaya Case: 22 जनवरी को नहीं होगी निर्भया के चारों दोषियों को फांसी

Nirbhaya Case बताया जा रहा है कि दोषियों की दया याचिका विचाराधीन है ऐसे में 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी नहीं होगी।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 15 Jan 2020 01:35 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2020 07:03 PM (IST)
2012 Nirbhaya Case: 22 जनवरी को नहीं होगी निर्भया के चारों दोषियों को फांसी
2012 Nirbhaya Case: 22 जनवरी को नहीं होगी निर्भया के चारों दोषियों को फांसी

नई दिल्ली, पीटीआइ। 2012 Delhi Nirbhaya Case: निर्भया मामले में 22 जनवरी को दिल्ली की तिहाड़ में होनी वाली फांसी को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की ओर से बड़ी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि दोषियों की दया याचिका विचाराधीन है, ऐसे में 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी नहीं होगी।

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दया याचिका के विचाराधीन होने का दिया हवाला

चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की डेथ वारंट के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि दया याचिका विचाराधीन है, ऐसे में 22 जनवरी को फांसी नहीं होगी। 

फांसी से 14 दिन पहले जारी किया जाता है नोटिस

तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने (Advocate Rahul Mehra appearing for Tihar Jail authorities) ने कहा कि दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद दोषियों को फांसी दी जा सकती है। हमें कानूनी प्रावधानों के साथ बंधे हैं। ऐसे में दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी से 14 दिन पहले नोटिस दिया जाता है।  वह भी तब जब राष्ट्रपति महोदय के पास पहुंची दया याचिका खारिज हो जाती है। वहीं दिल्ली और केंद्र सरकार दोनों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि डेथ वारंट के खिलाफ याचिका अपरिपक्व है।  

यहां पर बता दें कि निर्भया के माता-पिता का याचिका पर 7 जनवरी को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अहम फैसले में डेथ वारंट जारी किया था, इसके खिलाफ ही एक दोषी मुकेश ने ही याचिका दी थी।

बता दें कि एक दिन पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान एक दो दोषियों विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह की सुधारात्मक याचिका (Curative Petition) खारिज कर दी थी। वैसे मुकेश सिंह और विनय कुमार शर्मा दोनों की राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर हो चुकी है। बाकी बचे दो दोषियों पवन कुमार गुप्ता और अक्षय ठाकुर के पास क्यूरेटिव पेटिशन और राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प है।

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