'नतीजों से पहले ही सूट-टाई पहनकर तैयार थे', महाराष्ट्र में हार के बाद MVA में खटपट... उद्धव गुट ने किसे सुनाया?
Maharashtra Politics विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) का कांग्रेस से मोहभंग होने लगा है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष एवं शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अतिआत्मविश्वास के कारण महाविकास आघाड़ी (मविआ) को नुकसान उठाना पड़ा है। लोकसभा चुनाव 17 सीटों पर लड़कर 13 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस अतिआत्मविश्वास में आ गई थी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की हार के बाद कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं में खीज देखने को मिल रही है। एक तरफ जहां संजय राउत ने इस हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार टहराया, वहीं दूसरी तरफ शिवसेना (यूबीटी) के एक वरिष्ठ नेता ने इस हार के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया।
सीट बंटवारे पर हुई थी रार
महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की तरह महाराष्ट्र में भी कांग्रेस अति आत्मविश्वास में थी। यह नतीजों में भी झलकता है। सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान उसके रवैये ने हमें नुकसान पहुंचाया। उद्धव जी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जाना चाहिए था। ऐसा न करने से हमारी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा। अगर ऐसा किया जाता तो नतीजे अलग होते।
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए अंबादास दानवे ने कहा, वे नतीजों से पहले ही सूट-टाई पहनकर तैयार हो रहे थे। इसी 'अति आत्मविश्वास' के कारण महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को महाराष्ट्र में नुकसान हुआ।'
पूरी ताकत से चुनाव लड़ा
अंबादास दानवे ने कहा कि सेना (यूबीटी) के कुछ उम्मीदवारों ने संगठनात्मक पहलू की ओर इशारा किया था, लेकिन उन्होंने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि सेना (यूबीटी) अपनी ताकत को इस हद तक बढ़ाने की तैयारी करेगी कि वह राज्य की सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ सके।
गठबंधन में दरार
बता दें कि कांग्रेस ने कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में 13 सीटें जीती थीं, जो महा विकास अघाड़ी के सहयोगियों में सबसे ज्यादा थी। शानदार प्रदर्शन से उत्साहित नाना पटोले की अगुवाई वाली राज्य कांग्रेस इकाई ने राज्य चुनावों से पहले सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान काफी उत्साहित थी, जिससे गठबंधन में दरार पड़ गई। आखिरकार इसने 103 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 16 सीटें ही जीत पाई। 89 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली सेना (यूबीटी) 20 सीटें जीतने में कामयाब रही। तीसरी सहयोगी शरद पवार की एनसीपी ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा और 10 सीटें जीतीं।
कैसा रहा महाराष्ट्र का परिणाम
अपने पूर्व पार्टी सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में दानवे ने कहा कि भाजपा के पास कई राज्यों में कई शिंदे हैं। भाजपा उनका इस्तेमाल करती है और उन्हें फेंक देती है। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 236 सीटें अपने खाते में कर ली थी, वहीं कांग्रेस गठबंधन 49 सीटों पर सिमट गई। अकेले भाजपा ने 132 सीटें जीत ली हैं, वहीं कांग्रेस को 16 सीटें मिली हैं।
बता दें कि शिवसेना (यूबीटी) में एक राय ऐसी भी बनने लगी है कि भविष्य में सभी चुनाव महाविकास आघाड़ी से अलग होकर अपने दम पर लड़े जाएं। इसकी शुरुआत राज्य में दो-तीन वर्षों से लंबित स्थानीय निकायों के चुनावों से की जा सकती है। इनमें सबसे शिवसेना (यूबीटी) के लिए सबसे प्रतिष्ठा का चुनाव मुंबई महानगरपालिका का है। जहां वह करीब 25 वर्षों से काबिज है। मनपा में उसकी सत्ता आने से पहले मुंबई में कांग्रेस का महापौर होता था। अब विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) में एक वर्ग का मानना है कि मुंबई महानगरपालिका का चुनाव पार्टी को अपने दम पर अकेले ही लड़ना चाहिए। उसे इसका लाभ मिलेगा।
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