Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ..जब सोमनाथ ने किया था अपनी ही पार्टी का आदेश मानने से इनकार

    सोमनाथ ने पार्टी के आदेश को ना मानते हुए इस पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। इसको लेकर सोमनाथ के अपने तर्क थे।

    By Manish NegiEdited By: Updated: Mon, 13 Aug 2018 10:51 AM (IST)
    ..जब सोमनाथ ने किया था अपनी ही पार्टी का आदेश मानने से इनकार

    नई दिल्ली, जेएनएन। 25 जुलाई 1929 को असम स्थित तेजपुर में जन्मे सोमनाथ चटर्जी अपने उसूलों के पक्के थे। एक बार ऐसा भी हुआ जब सोमनाथ इन्हीं उसूलों के खातिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए थे। ये वो वक्त था जब सीपीएम ने भारत-अमेरिका न्यूक्लियर समझौता विधेयक के विरोध में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इस दौरान सीपीएम ने चटर्जी को स्पीकर का पद छोड़ने को कहा था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हालांकि, सोमनाथ ने पार्टी के आदेश को ना मानते हुए इस पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। इसको लेकर सोमनाथ के अपने तर्क थे। उनका कहना था कि लोकसभा अध्यक्ष के पद पर विराजमान व्यक्ति किसी दल का नहीं होता है। सोमनाथ चटर्जी ने लोकसभा के स्पीकर पद से इस्तीफा देने के पार्टी के निर्देश को मानने से इनकार कर दिया तो पोलित ब्यूरो ने 2008 में सोमनाथजी को सीपीएम से निकाल दिया।

    बंगाली ब्राह्म्ण परिवार में हुआ जन्म

    सोमनाथ का जन्म बंगाली ब्राह्मण निर्मल चंद्र चटर्जी और वीणापाणि देवी के घर में हुआ था। उनके पिता एक प्रतिष्ठीत वकील, और राष्ट्रवादी हिंदू जागृति के समर्थक थे। उनके पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापकों में से एक थे। सोमनाथ चटर्जी की पढ़ाई कोलकाता और ब्रिटेन में हुई। उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में भी पढ़ाई की। बाद में सोमनाथ ने ब्रिटेन में मिडिल टैंपल से लॉ की पढ़ाई करने के बाद कोलकाता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की।

    1971 में जीता लोकसभा चुनाव

    सोमनाथ ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1968 से की। इसी साल सोमनाथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीएम) में शामिल हुए। साल 1971 में वह सीपीएम के समर्थन से निर्दलीय सांसद बने। सोमनाथ कुल 10 बार सांसद चुने गए। सोमनाथ को राजनीतिक जीवन में सिर्फ एक बार हार का मुंह देखना पड़ा। साल 1984 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस की टिकट पर जाधवपुर सीट से उनको हरा दिया। साल 2004 में वह 14वीं लोकसभा में 10वीं बार सांसद चुने गए। सोमनाथ आम सहमति से लोकसभा के अध्यक्ष बने। कई सालों तक सांसद के रूप में देश की सेवा के लिए 1996 में सोमनाथ को उत्कृष्ट सांसद का पुरस्कार मिला।