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    Vice President Election के लिए मतदान आज... राधाकृष्णन या सुदर्शन, कौन बनेगा देश का अगला उपराष्ट्रपति?

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 07:59 AM (IST)

    उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए तैयारी पूरी हो चुकी है जिसमें राजग के सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के बी सुदर्शन रेड्डी के बीच मुकाबला है। भाजपा गठबंधन अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है लेकिन दलों की चिंता मतदान से अलग रहने वाले दलों को लेकर है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के कारण यह पद खाली हुआ था।

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    सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक सांसद मतदान कर सकेंगे (फोटो: जागरण)

    जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति पद के लिए मंगलवार को होने वाले मतदान के लिए मंच सज चुका है। राजग के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और संयुक्त विपक्ष के कैंडिडेट बी सुदर्शन रेड्डी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। हालांकि भाजपा नीत गठबंधन स्पष्ट बढ़त के साथ अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है।

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    दलों की सबसे बड़ी चिंता मतदान से अलग रहनेवाले दलों को लेकर है। भाजपा ने साफ किया है कि मतदान से अलग रहने पर इसे विपक्ष को दिया गया वोट माना जाएगा। वहीं गौरतलब है कि स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पद से इस्तीफा देने की वजह से ये देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद रिक्त हुआ था।

    10 से 5 बजे तक वोटिंग

    संसद भवन में मंगलवार सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक सांसद मतदान कर सकेंगे। शाम छह बजे से वोटों की गिनती शुरू की जाएगी और देर रात तक फैसला आने की संभावना है। खास बात ये है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान के लिए सांसदों को पार्टी व्हिप से बंधे रहने की बाध्यता नहीं होती है क्योंकि यह चुनाव गुप्त मतदान प्रणाली के तहत होता है।

    भाजपा के नेतृत्व वाले राजग और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी समूह ने चुनाव की पूर्व संध्या पर अपने-अपने सांसदों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं ताकि उन्हें चुनाव प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया जा सके और माक पोल भी आयोजित किए गए। सांसदों को दो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम वाले मतपत्र दिए जाएंगे और उन्हें अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने '1' लिखकर अपनी प्राथमिकता बतानी होगी।

    उपराष्ट्रपति चुनाव के नियमों में कहा गया है कि आंकड़े भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप में या रोमन रूप में या किसी भी भारतीय भाषा में प्रयुक्त रूप में अंकित किए जा सकते हैं, लेकिन उन्हें शब्दों में नहीं लिखा जाएगा।

    नंबर गेम में राजग आगे

    उपराष्ट्रपति पद के निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य हैं, जिसमें 245 राज्यसभा से और 543 लोकसभा के सदस्य हैं। इसके अलावा राज्यसभा के लिए नामित 12 सदस्य भी मतदान कर सकते हैं। निर्वाचक मंडल की मौजूदा स्थिति 781 सदस्यों की है। वर्तमान में राज्यसभा में छह सीटें और लोकसभा में एक सीट रिक्त है।

    इसकी वजह से जीत के लिए 391 वोटों की जरूरत होगी। राजग के 425 सांसद हैं, जबकि विपक्ष के खेमे में 324 सांसद हैं। विपक्षी खेमे के मानी जाने वाली वाईएसआरसीपी के 11 सांसद हैं, जिन्होंने राजग के उम्मीदवार को वोट देने का निर्णय किया है। वहीं बीआरएस और बीजद ने मतदान से अलग रहने का फैसला किया है।

    राधाकृष्णन की साफ छवि राजग के लिए बोनस

    राजग ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन (67) को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया है। वह गौंडर-कोंगु वेल्लालर समुदाय से आने वाले ओबीसी हैं। आरएसएस की विचारधारा से जुड़े 68 वर्षीय भाजपा नेता पार्टी में एक मृदुभाषी और गैर-विवादास्पद नेता के रूप में जाने जाते हैं। वे तमिलनाडु के एकमात्र भाजपा नेता भी हैं जो कोयंबटूर से 1998 और 1999 में दो बार लोकसभा के लिए चुने गए।

    वे 31 जुलाई, 2024 से महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं। राधाकृष्णन ने अपने चुनावी अभियान में सभी राज्यों के सांसदों से मुलाकात की थी। विपक्ष के सुदर्शन रेड्डी हैं न्यायविद सीपी राधाकृष्णन के खिलाफ संयुक्त विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है, जो खुद भी दक्षिण भारत से हैं।

    सुदर्शन रेड्डी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज

    79 वर्षीय बी सुदर्शन रेड्डी जुलाई 2011 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए थे और एक न्यायविद हैं। काले धन के मामलों की जांच में ढिलाई बरतने के लिए वह तत्कालीन केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं। साथ ही उन्हें कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाना जाता है। उन्होंने नक्सलियों से लड़ने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्थापित सलवा जुडूम को भी असंवैधानिक घोषित किया था। वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में न्यायाधीश और गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं।

    साथ ही तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण से जुड़ी कमेटी का नेतृत्व कर चुके हैं। ईवीएम से मतदान क्यों नहीं उपराष्ट्रपति पद के चुनावों की मतदान प्रणाली लोकसभा और विधानसभा चुनावों से अलग होने की वजह से इस चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार होते हैं।

    इसमें हर मतदाता उतनी ही वरीयताएं दर्ज कर सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में होते हैं। मतपत्र के स्तंभ दो में दिए गए स्थान में उम्मीदवारों के नामों के सामने वरीयता क्रम में 1,2,3,4 आदि दर्ज करके अंकित की जाती हैं। अधिकारियों के मुताबिक ईवीएम इस मतदान प्रणाली के मुताबिक डिजाइन नहीं की गई है।

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