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राज्यसभा में हंगामा अब सांसदों को पड़ेगा भारी, वेल में आए तो स्वत: निलंबन की तैयारी

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सदन के पहले सत्र से ही बड़े बदलाव चाहते हैं। संभव है कि वेल में आते ही स्वत निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। पिछले कुछ दिनों में अलग अलग दलों के नेताओं से उन्होंने इस बाबत चर्चा भी की है।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Fri, 18 Nov 2022 08:08 PM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2022 08:08 PM (IST)
राज्यसभा में हंगामा अब सांसदों को पड़ेगा भारी, वेल में आए तो स्वत: निलंबन की तैयारी
राज्यसभा में हंगामा अब सांसदों को पड़ेगा भारी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ सत्रों में राज्यसभा में माननीयों का हंगामा व अवरोध काफी चर्चा में रहा है। कुछ बेहद दुर्भाग्यपूर्ण दृश्य भी दिखे हैं और कईयों पर सख्त कार्रवाई भी हुई है। प्रतिक्रिया में सदन बाधित रहा है। नए सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इसे अपने पहले सत्र से बदल देना चाहते हैं। संभव है कि वेल में आते ही स्वत: निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। पिछले कुछ दिनों में अलग अलग दलों के नेताओं से उन्होंने इस बाबत चर्चा भी की है। पूरी सहमति तो अभी नहीं बनी है लेकिन बताया जाता है कि धनखड़ इसके पक्ष में हैं।

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धनखड़ ने सदन में नारेबाजी करने वालों को किया सचेत

राज्यसभा में हंगामे पर अंकुश लगाने की तैयारी की जानकारी हाल ही में जगदीप धनखड़ से मिले कांग्रेस और वायएसआर के सांसदों के जरिए मिली। इन सदस्यों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सभापति ने उन्हें वेल में न आने और नारेबाजी न करने को लेकर सचेत किया है। साथ ही बताया गया है कि यदि वह ऐसा करेंगे तो निलंबित कर दिए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार सभापति ने पिछले हंगामे भरे सत्रों के सारे वीडियो फुटेज देखे है। साथ ही हंगामा करने वाले सदस्यों को चिन्हित भी कर लिया है। एक सदस्य के मुताबिक जब उन्होंने सभापति से खुद को हंगामे में शामिल न होने और वेल में न आने को लेकर सफाई दे रहा था, तो उन्होंने टोका और बताया कि वेल में उनके आने की फुटेज उनके पास है।

संसद का शीतकालीन सत्र पांच दिसंबर से हो सकता है शुरू

संसद का शीतकालीन सत्र वैसे तो अब तक नवंबर के तीसरे सप्ताह से शुरू हो जाता था लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के चलते इस बार इस सत्र को पांच दिसंबर या फिर उसके बाद शुरू करने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं की व्यस्तताओं के चलते सत्र को आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया है। गुजरात विधानसभा चुनाव में मतदान एक और पांच दिसंबर को होंगे।

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