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    'ठाकरे ब्रांड नहीं, महाराष्ट्र की पहचान है', उद्धव के बयान पर गरमाई सियासत; BJP ने बोला हमला

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 08:44 PM (IST)

    Maharashtra Politics शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सामना में साक्षात्कार में कहा कि ठाकरे महाराष्ट्र की पहचान है। उन्होंने चुनाव आयोग पर शिवसेना का चुनाव चिन्ह शिंदे को देने का आरोप लगाया। महायुति गठबंधन के नेताओं ने उनकी आलोचना करते हुए इसे बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के साथ विश्वासघात बताया।

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    उद्धव के बयान पर महाराष्ट्र में गरमाई सियासत।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी ही पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक साक्षात्कार देकर ठाकरे ब्रांड का गुणगान किया है, और चुनाव आयोग पर तीखी टिप्पणियां की हैं।

    उनके इस बयान के बाद सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन की ओर से उनपर भी तीखी टिप्पणियां की जा रही हैं। महायुति गठबंधन ने उन पर उस विरासत को नष्ट करने का आरोप लगाया है, जिसकी रक्षा का दावा वह कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे से यह साक्षात्कार सामना के कार्यकारी संपादक एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने किया है।

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    'ठाकरे सिर्फ एक ब्रांड नहीं हैं, यह महाराष्ट्र की पहचान'

    शनिवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए एक साक्षात्कार में ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और महायुति सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि ठाकरे सिर्फ एक ब्रांड नहीं हैं, यह महाराष्ट्र की पहचान है। जो लोग खोखले हैं उन्हें जीवित रहने के लिए ठाकरे नाम की जरूरत है। इसके साथ ही चुनाव आयोग पर सीधा निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा है कि चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव चिन्ह तो उन्हें (शिंदे को) दे दिया, लेकिन उसे उसका नाम देने का कोई अधिकार नहीं है।

    उद्धव की टिप्पणी पर भड़के महायुति के नेता

    उनकी इस टिप्पणी के बाद महायुति नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रिया हुई है। उन्होंने ठाकरे के इस गुस्से को राजनीतिक तौर पर अप्रासंगिक और दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के साथ विश्वासघात का परिणाम बताया है।

    शिंदे गुट ने उद्धव के साक्षात्कार को बताय हताशा का परिणाम

    शिवसेना नेता शाइना एनसी ने इस साक्षात्कार को उद्धव ठाकरे की हताशा का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि साक्षात्कार में सिर्फ हताशा ही दिख रही है। अगर उद्धव सचमुच बोलना चाहते हैं, तो उन्हें सामना से बाहर किसी को साक्षात्कार देना चाहिए। संजय राउत के सवाल पत्रकारिता नहीं, बल्कि ‘थेरेपी सेशन’ जैसे हैं।

    उन्होंने कहा कि अगर वह बाहर किसी से बात करेंगे तो सच्चाई सामने आ जाएगी। काम की कमी, दूरदर्शिता का परित्याग, और क्यों उनके कार्यकर्ताओं ने विद्रोह किया और एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर 80 में से 60 सीटें जीत लीं।

    भाजपा ने भी उद्धव गुट पर साधा निशाना

    भाजपा विधायक राम कदम ने उद्धव पर राहुल गांधी की गोद में बैठने और शरद पवार को उन्हें रिमोट कंट्रोल से चलाने का आरोप लगाया। कदम ने कहा कि बालासाहेब की हिंदुत्व विचारधारा को त्यागकर उद्धव ने उनकी विरासत को मिटा दिया। यही कारण है कि असली शिवसैनिक शिंदे के साथ खड़े थे, उद्धव के साथ नहीं।

    'हारे हुए व्यक्ति की तरह व्यवहार कर रहे उद्धव'

    भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने भी शिवसेना अध्यक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि उद्धव एक हारे हुए व्यक्ति की तरह व्यवहार कर रहे हैं। वह अपनी हताशा में चुनाव आयोग पर निशाना साध रहे हैं। वह राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हो गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने ठाकरे के बयान का पुरजोर बचाव करते हुए चुनाव आयोग पर केंद्र के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है।

    पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे के अनुसार, उद्धव ठाकरे ने सही कहा कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार की कठपुतली की तरह काम कर रहा है। चुनाव आयोग को यह तय करने का अधिकार किसने दिया कि कौन सी पार्टी असली है?

    शिवसेना की स्थापना बालासाहेब ने की थी और उद्धव ने उसे आगे बढ़ाया। वे इसे शिंदे को कैसे दे सकते हैं ? इस फैसले को अन्यायपूर्ण बताते हुए दुबे ने कहा असली पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ है, दलबदलुओं के साथ नहीं। जिन कार्यकर्ताओं ने खून-पसीने से शिवसेना का निर्माण किया, वे अभी भी उद्धव ठाकरे के साथ हैं।

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