'तमिलनाडु को नहीं बनने देंगे बिहार', SIR के विरोध में स्टालिन का बड़ा बयान, SC जाएंगे 40 दल
तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के विरोध में मुख्यमंत्री स्टालिन ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में एसआइआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया गया। स्टालिन ने कहा कि बिहार की तरह तमिलनाडु में मतदाता सूची से लोगों को बाहर नहीं होने देंगे। विपक्ष ने द्रमुक पर भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने का आरोप लगाया।

तमिलनाडु मतदाता सूची विवाद स्टालिन जाएंगे सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मामला गरमाता जा रहा है। रविवार को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई और तय हुआ कि सभी दल सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील दायर करेंगे।
द्रमुक अध्यक्ष स्टालिन ने बताया कि राज्य में एसआइआर को 2026 के विधानसभा चुनाव के बाद कराने की मांग को चुनाव आयोग द्वारा खारिज किए जाने के बाद आगे के कदम पर सहमति बनी है। कार्यक्रम के मुताबिक अगले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
60 दलों को किया गया आमंत्रित
बैठक में 60 दलों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें 40 ने हिस्सा लिया, जबकि अन्नाद्रमुक, टीवीके और एनटीके ने बैठक का बहिष्कार किया। स्टालिन ने एक बयान में कहा कि बिहार में एसआइआर का परिणाम पूरे देश ने देखा। लाखों लोग मतदाता सूची से बाहर हो गए। जो बिहार में हुआ, वह तमिलनाडु में नहीं होना चाहिए।
ये सभी दलों की जिम्मेदारी है कि आनन फानन में लाए जा रहे एसआइआर का विरोध करें, जिसका लक्ष्य लोकतंत्र की हत्या और तमिलनाडु के लोगों को मतदान के अधिकार से वंचित करना है। स्टालिन ने बैठक में शामिल सभी दलों का आभार जताया और गैरहाजिर दलों से लोकतंत्र बचाने के लिए आगे आने की अपील की।
स्टालिन ने कहा कि ये बैठक किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं बुलाई गई थी। वहीं, मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक और अभिनेता से राजनेता बने विजय नीत तमिझिगा वेत्री कड़गम (टीवीके) ने सत्ताधारी दल पर भड़ास निकाली।
विपक्ष का आरोप
विजय ने द्रमुक पर आरोप लगाया कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए एसआईआर के मुद्दे का नाटक कर रही है। उन्होंने कहा कि द्रमुक इस मुद्दे को राजनीतिक फायदे के लिए उठा रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि एसआइआर के मुद्दे पर लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए पार्टियों को साथ आना चाहिए।

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