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    भारत के मेडिकल एजुकेशन सिस्टम के बदलावों को सराह रही दुनिया, 'द लैंसेट' में भी हुआ गुणगान

    Updated: Sun, 02 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    हाल ही में 'द लैंसेट' में प्रकाशित एक लेख में भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य रणनीति और चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में हो रहे बदलावों की सराहना की गई है। लेख में स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने के प्रयासों की प्रशंसा की गई है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को मिली मान्यता को भी महत्वपूर्ण बताया गया है, जिससे भारतीय मेडिकल ग्रेजुएट्स को वैश्विक स्तर पर अवसर मिलेंगे।

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    स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली में किए जा रहे बदलावों की प्रशंसा की गई (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 'द लैंसेट' में हाल ही में प्रकाशित एक लेख में भारत में स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ाने, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच को बेहतर बनाने और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई राष्ट्रीय रणनीति के बारे में विस्तार से बताया गया है।

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    साथ ही देश में स्वास्थ्य शिक्षा प्रणाली में किए जा रहे बदलावों की प्रशंसा की गई है। 'द लैंसेट' में यह लेख डा. कृष्ण मोहन सुरापनेनी ने लिखा है जो चेन्नई स्थित पनीमलार मेडिकल कालेज हास्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में वाइस प्रिंसिपल, बायोकेमिस्ट्री के प्रोफेसर और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख हैं।

    राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को 10 वर्ष की मान्यता मिली

    उन्होंने लिखा है, ''भारत में दुनिया का सबसे बड़ा अंडरग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन का नेटवर्क है, जिसमें 780 मेडिकल कालेज हैं और हर वर्ष लगभग 1,18,148 मेडिकल स्टूडेंट्स प्रवेश लेते हैं। यह विस्तार एक उद्देश्यपूर्ण राष्ट्रीय रणनीति है जिसका मकसद स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या बढ़ाना, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच बेहतर बनाना और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच बढ़ाना है। भारतीय चिकित्सा शिक्षा को सेवा और सामाजिक न्याय के इसी बड़े संदर्भ में समझा जाना चाहिए।''

    इसमें कहा गया है, ''2023 में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को व‌र्ल्ड फेडरेशन फार मेडिकल एजुकेशन से 10 वर्ष की मान्यता मिली, जो भारत के नियामक मानकों की पुष्टि करती है और भारत के मेडिकल ग्रेजुएट्स को दुनियाभर में पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के अवसर हासिल करने में मदद करती है। ये प्रगति ऐसी व्यवस्था को दर्शाती है जो ठहराव की ओर नहीं, बल्कि उत्कृष्टता की ओर बढ़ रही है।''

    एनएमसी के चेयरपर्सन डा. अभिजात शेठ ने इस लेख पर कहा, ''हम डा. कृष्ण मोहन सुरापनेनी की सराहना करते हैं कि उन्होंने द लैंसेट में पहले छपे लेख का सही जवाब दिया। ऐसे योगदान यह पक्का करने में मदद करते हैं कि वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक विमर्श संतुलित रहे और अलग-अलग स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली व शोधार्थियों के नजरिये को स्पष्टता व सम्मान के साथ पेश किया जाए।''

    (न्यूज एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)