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    Supreme Court: हलचल भरा रहेगा सुप्रीम कोर्ट में सोमवार का दिन, जस्टिस वर्मा और SIR सहित कई बड़े मामलों पर सुनवाई

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 09:07 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बिहार में विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले की सुनवाई होगी जो बिहार में एसआईआर का भविष्य तय करेगी। इसके अतिरिक्त इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों और बीएस 6 मानक वाले वाहनों पर भी सुनवाई होगी। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में एसआईआर प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई थी।

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    हलचल भरा रहेगा सुप्रीम कोर्ट में सोमवार का दिन (फाइल फोटो)

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दिन हलचल भरा रहने वाला है। सुप्रीम कोर्ट 28 जुलाई सोमवार को कई अहम मामलों की सुनवाई करेगा जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बिहार में विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (S.I.R) का मामला होगा जिसमें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई ही बिहार में एसआईआर का आगे का भविष्य तय करेगी।

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    इसके अलावा आवास में नगदी मिलने के आरोपों में घिरे इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा की उन्हें दोषी ठहराने वाली आंतरिक कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर भी कोर्ट सुनवाई करेगा।

    साथ ही एक वकील मैथ्यु जे. नेदुंपरा की जनहित याचिका भी सुनवाई पर लगी है जिसमें जस्टिस वर्मा के घर नगदी मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज कर जांच करने का आदेश मांगा गया है।

    बीएस 6 मानक वाले वाहनों पर भी होगी सुनवाई

    वैसे तो सुप्रीम कोर्ट में होने वाली हर सुनवाई अहम होती है लेकिन सोमवार का दिन ज्यादा अहम इसलिए है क्योंकि एसआईआर पर होने वाली सुनवाई में बिहार के लाखों मतदाताओं का भविष्य तय होगा।

    दूसरी ओर न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को डिगाने वाली घटना जज के घर नगदी मामले पर सुनवाई होगी। पता चलेगा कि कोर्ट जस्टिस वर्मा की याचिका स्वीकार करता है या उनके खिलाफ जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार का मन बनाता है। बीएस 6 वाहन खरीदने वाले लाखों उपभोक्ताओं की निगाह भी सुप्रीम कोर्ट पर रहेगी क्योंकि कोर्ट ऐसे वाहनों की उम्र सीमा तय कर सकता है।

    कोर्ट ने SIR पर नहीं लगाई थी रोक

    बिहार एसआईआर का मामला सबसे अहम है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई थी। कोर्ट ने माना था कि चुनाव आयोग को मतदाता सूची का सघन पुनरीक्षण करने का संवैधानिक अधिकार है, हालांकि चल रही प्रक्रिया के समय को लेकर सवाल जरूर उठाया था और कहा था कि यह मसला लोकतंत्र के मूल और मतदान के अधिकार से जुड़ा हुआ है।

    इतना ही नहीं कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए निर्धारित 11 दस्तावेजों की सूची को लेकर भी चुनाव आयोग से प्रश्न किए थे और उन दस्तावेजों में आधार कार्ड व चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र को न शामिल किए जाने पर सवाल पूछा था।

    कोर्ट ने अंतरिम आदेश में चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए दिए जाने वाले दस्तावेजों में आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर भी विचार करे।

    28 जुलाई क्यों रखी गई तारीख

    सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई भी कोर्ट ने सोच समझ कर रखी थी क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा तय शिड्यूल में एक अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची पब्लिश होनी है इसे ही देखते हुए सुनवाई 28 जुलाई को रखी थी ताकि ड्राफ्ट मतदाता सूची पब्लिश होने से पहले कोर्ट वस्तुस्थिति जान सके।

    इस मामले में गैर सरकारी संगठन एडीआर, आरजेडी सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, योगेन्द्र यादव व अन्य कई विपक्षी दलों के नेताओं ने याचिका दाखिल कर एसआइआर को चुनौती दी है और उस पर रोक लगाने की मांग की है।

    इस बीच चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल कर चल रहे पुनरीक्षण को सही ठहराते हुए कहा है कि यह मतदाता सूची से अयोग्य व्यक्तियों को हटा कर चुनाव की शुद्धता को बढ़ाता है। आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को मान्य दस्तावेजों में शामिल करने पर आयोग ने कहा है कि आधार सिर्फ पहचान का सबूत है।

    यह भी कहा है कि देश में बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड हैं और मौजूदा मतदाता पहचान पत्र पर भरोसा करने से एसआइआर की प्रक्रिया ही बेकार हो जाएगी। हालांकि आयोग ने कहा है कि मतदाता सूची में नाम न होने के आधार पर किसी की नागरिकता रद नहीं होगी।

    आयोग ने क्या कहा

    आयोग का कहना है कि एसआईआर प्रक्रिया से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होता और न ही किसी के मौलिक अधिकार का हनन होता है। आयोग ने सभी याचिकाएं खारिज करने का अनुरोध किया है।

    हालांकि दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल प्रतिउत्तरों में एसआइआर की चल रही प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं और गड़बड़ियों के आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में देखना होगा कि सोमवार को कोर्ट क्या रुख अपनाता है।

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