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    बसपा प्रमुख मायावती को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहा- हाथियों की प्रतिमा पर खर्च पैसा लौटाना चाहिए

    By Vikas JangraEdited By:
    Updated: Fri, 08 Feb 2019 01:55 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट से बसपा प्रमुख मायावती को तगड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। ...और पढ़ें

    बसपा प्रमुख मायावती को सुप्रीम कोर्ट से झटका, कहा- हाथियों की प्रतिमा पर खर्च पैसा लौटाना चाहिए

    नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट से बसपा प्रमुख मायावती को तगड़ा झटका लगता नजर आ रहा है। मायावती द्वारा उत्तर प्रदेश में लगाई हाथियों की प्रतिमाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम बात कही है।

    कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि मायावती को हाथियों की मूर्ति पर खर्च पैसा लौटाना होगा। हालांकि, ये अभी अंतिम फैसला नहीं है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने ये बात कही है। फिलहाल, मामले में अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी।

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    कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की है, जिसमें कहा गया है कि जनता के पैसों का इस्तेमाल अपनी मूर्तियां या राजनीतिक पार्टी के प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।

    बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में साल 2009 में रविकांत समेत कुछ लोगों ने याचिका दायर की थी। जिसपर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसे को सरकारी खजाने में वापस करने होंगे। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील से कहा कि अपने मुवक्किल से कह दीजिए कि वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा करवा दें।

    मुख्यमंत्री रहते मायावती ने लगवाई थी प्रतिमाएं
    उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री रहते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हाथी की प्रतिमाएं लगवाईं थीं। बसपा प्रमुख ने कई पार्क और स्मारक भी बनवाए। इसमें हाथियों के अलावा उनकी, कांशीराम और बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमाएं शामिल थीं। तब मायावती के प्रतिमाएं लगवाने के फैसले का समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने विरोध जताया था। 

    4 हजार करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान
    याचिकाकर्ता ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक करीब 2600 करोड़ रुपये का खर्च आया था। इसके अलावा गौतमबुद्ध विश्वद्यालय समेत कई और जगहों पर भी प्रतिमाएं लगाई गईं, जिससे अब करीब 4 हजार करोड़ रुपये तक का खर्च होने का अनुमान है। इस रकम में लागत समेत तमाम खर्च शामिल हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मायावती के पक्ष का कहना है कि चूंकि कैबिनेट ने इस बजट को पास किया था इसीलिए ये रकम लौटाने की जिम्मेदारी सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर उनकी नहीं बनती।