महाराष्ट्र सरकार पर शरद पवार का हमला, सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने का आरोप
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र की महायुति सरकार पर सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सामाजिक विभाजन को बढ़ावा दे रही है और कार्यकर्ताओं से इसका मुकाबला करने का आह्वान किया। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ओबीसी आदिवासी और बंजारा समुदाय मराठा आरक्षण जीआर को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को महायुति सरकार पर महाराष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने का आरोप लगाया। पार्टी की एक बैठक में उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार सामाजिक विभाजन को बढ़ाने के लिए काम कर रही है।
उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से उसका मुकाबला करने का आह्वान किया। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कई ओबीसी, आदिवासी और बंजारा समुदाय के संगठन विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दे रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के आंदोलन के मद्देनजर जारी मराठा आरक्षण जीआर को वापस ले।
संगठनों ने क्या दी दलील?
संगठनों ने दलील दी है कि मराठा समुदाय के सदस्यों को ओबीसी आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए उन्हें कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति देने के सिलसिले में हैदराबाद राजपत्र के कार्यान्वयन से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा।
पवार ने क्या कहा?
पवार ने कहा कि राजपत्र में बंजारा समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है। वे भी आरक्षण की इसी तरह की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मराठा आरक्षण और ओबीसी के लिए बनी मंत्रिमंडलीय उप-समितियों में केवल इन्हीं समुदायों के मंत्री शामिल हैं।
दावा किया कि पहले कभी भी जाति और समुदाय के आधार पर कोई सरकारी समिति गठित नहीं की गई। ऐसा लगता है कि सरकार मुद्दों को सुलझाना नहीं चाहती। वह सामाजिक ताने-बाने को कम•ाोर करने की कोशिश कर रही है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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