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    Rafale review petition: याचिकाकर्ताओं की SC में दलील, केंद्र पर गुमराह करने का आरोप

    By TaniskEdited By:
    Updated: Thu, 09 May 2019 02:07 PM (IST)

    Rafale review petition सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर 2018 के राफेल रिव्यू पिटिशन को लेकर याचिकाकर्ताओं ने हलफनामा दायर किया है। उनका आरोप है कि केंद्र ने क ...और पढ़ें

    Rafale review petition: याचिकाकर्ताओं की SC में दलील, केंद्र पर गुमराह करने का आरोप

    नई दिल्ली, प्रेट्र। Rafale review petition: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने राफेल मामले में अब एक रिज्वाइंडर एफिडेविट देकर सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ दावा कर उसे चुनौती दी है। उनका आरोप है कि राफेल युद्धक विमान के सौदे में पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को गुमराह और फ्रॉड करके अपने पक्ष में फैसला लिया है। वहीं केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर करके सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि याचिकाकर्ताओं की झूठे साक्ष्यों पर आधारित याचिका पूरी तरह गलत है।

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    14 दिसंबर के राफेल पर फैसले के खिलाफ इन याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक प्रत्युत्तर हलफनामा दायर किया है। इसमें कहा गया है कि इस फैसले की समीक्षा होनी चाहिए, चूंकि राफेल मामले में फैसला कई झूठों और तथ्यों और सूचनाओं को छिपाकर हासिल किया गया है।

    यशवंत सिन्हा, शौरी और प्रशांत भूषण की तिकड़ी ने अपने हलफनामे में कहा है कि यह साफ है कि सरकार ने अदालत को सीलबंद लिफाफे में दिए गए नोट्स के विभिन्न बिंदुओं पर गुमराह किया है। सरकार ने अदालत से कई जानकारियां और तथ्य भी छिपाए हैं। इस तरह सरकार ने अदालत के साथ फ्रॉड करके 'विवादास्पद' फैसला हासिल किया है।

    केंद्र ने आरोपों की हवा निकाली
    केंद्र सरकार ने गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राफेल मामले में एक अज्ञात सरकारी नौकर के हवाले से झूठे साक्ष्य संबंधी याचिका को लेकर राफेल मामले में सुनवाई करना पूरी तरह से गलत है। चूंकि कुछ मीडिया रिपोर्ट और कुछ अधूरी आंतरिक फाइल नोटिंग किसी भी अदालती कार्यवाही का आधार नहीं हो सकती हैं। यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण की याचिका का जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत में गलतबयानी करने और तथ्यों को छिपाने के आरोपों पर अदालत से कहा कि यह आरोप पूरी तरह से गलत और निराधार हैं।

    सरकार ने कहा है कि उसने अदालत में जो भी बयान और साक्ष्य दिए हैं वह रिकार्ड पर आधारित हैं। जबकि याचिकाकर्ताओं की दलीलें मीडिया रिपोर्ट में आई रक्षा मंत्रालय की कुछ फाइलों के 'चुनिंदा लीक' पर आधारित हैं। यह बातें कुछ अफसरों या एक अफसर की राय पर आधारित है जो राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा मामले की अधूरी छवि पेश कर रही है।

    सर्वोच्च अदालत में सुनवाई
    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व में एक खंडपीठ आगामी शुक्रवार को राफेल पर फैसले की समीक्षा संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट सिन्हा, शौरी और भूषण की फ्रांस से हुए राफेल सौदे में अनियमितताओं की याचिका को पहले ही खारिज कर चुका है।

     

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