जनवरी में भाजपा को मिल सकता है नया राष्ट्रीय अध्यक्ष, मगर मापदंड तय करना चाहते हैं संघ के पदाधिकारी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंडल अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 30 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों का चुनाव होगा। इसके बाद प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव संपन्न होंगे। उम्मीद है कि जनवरी के तीसरे हफ्ते तक भाजपा को अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाए। इस बीच संघ के कुछ पदाधिकारी चाहते हैं कि भाजपा अध्यक्ष के कुछ मापदंड होने चाहिए।
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। पांच दिसंबर को महाराष्ट्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण की घोषणा के बाद भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अटकलों का दौर शुरू हो गया है। भाजपा और संघ के बीच बातचीत का दौर चल रहा है। इसी बीच सूत्रों का कहना है कि संघ के कुछ पदाधिकारी अध्यक्ष के चयन के पहले आरएसएस की ओर से इसके लिए मापदंड तय करने का सुझाव दे रहे हैं। हालांकि संघ के शीर्ष नेतृत्व से ऐसी कोई बात अब तक नहीं बताई गई है।
30 दिसंबर तक चुने जाएंगे जिला अध्यक्ष
दरअसल, रविवार (एक दिसंबर) से मंडल अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 15 दिसंबर तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद 30 दिसंबर तक सभी राज्यों में जिला अध्यक्षों का चुनाव संपन्न करने की समय सीमा तय कर दी गई है। जिला अध्यक्षों के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्षों को चुनने का काम शुरू होगा। आधे से अधिक राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव संपन्न होते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने का प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
तो क्या होंगे अध्यक्ष के ये मानदंड?
माना जा रहा है कि जनवरी के तीसरे हफ्ते तक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तय कर लिया जाएगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मथुरा में अक्टूबर में आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मापदंड को लेकर लंबी चर्चा हुई। तीन-चार घंटे तक चली चर्चा में कई प्रतिनिधियों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए आरएसएस का प्रचारक या पूर्व प्रचारक होना अनिवार्य बनाने की मांग भी की थी।
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवानी, कुशाभाऊ ठाकरे और जेना कृष्णमूर्ति जैसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले प्रचारक रह चुके हैं। आरएसएस नेतृत्व भाजपा अध्यक्ष के लिए पूर्व प्रचारक या प्रचारक की शर्त को थोपने के पक्ष में नहीं है। इसीलिए खुद भाजपा को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए मानदंड तय करने और उसी के अनुरूप नए नामों पर विचार करने को कहा है।
संघ के साथ बनाया जा रहा समन्वय
लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद भाजपा और आरएसएस के बीच समन्वय को बेहतर बनाने की कोशिश शुरू हुई। हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली अप्रत्याशित सफलता का श्रेय इसी को दिया जा रहा है। इस समन्वय को और प्रगाढ़ करने की जिम्मेदारी भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की होगी। आरएसएस की ओर से भाजपा को राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए मापदंड तय करने के साथ ही संभावित नामों की सूची देने को कह सकता है, जिनमें से किसी एक का चुनाव किया जाएगा।
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