कर्नाटक में आरक्षण हो सकता है चुनावी मुद्दा, कांग्रेस के परंपरागत SC ST वोट में सेंध लगा सकती है भाजपा
भाजपा के लिए कर्नाटक बहुत महत्वपूर्ण है और इस लिहाज से माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कर्नाटक में समय भी देंगे और पूरे चुनाव को डबल इंजन सरकार में विक ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कर्नाटक चुनाव आरक्षण के मुद्दे के आसपास घूम सकता है। सत्ता में वापसी की कोशिश में जुटे मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई जहां पंचमशाली आरक्षण और अब एससी एसटी आरक्षण मे बढ़ोत्तरी का इरादा जता चुके हैं और इसे बार-बार दोहराया जा रहा है। वहीं यह खतरा भी है कि इन दोनों आरक्षणों की तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई तो कांग्रेस भी इसे ही मुद्दा बनाएगी।
भाजपा के लिए कर्नाटक बहुत महत्वपूर्ण
वस्तुत: सोमवार से शुरू हो रहे कर्नाटक विधानसभा मे ही आगामी चुनावी मुद्दे की झलक दिख जाएगी। दूसरे राज्यों की तरह ही कर्नाटक भाजपा भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता से आशा लगाए बैठी है। भाजपा के लिए कर्नाटक बहुत महत्वपूर्ण है और इस लिहाज से माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री कर्नाटक में समय भी देंगे और पूरे चुनाव को डबल इंजन सरकार में विकास पर केंद्रित करने की कोशिश होगी। लेकिन प्रदेश में जिस तरह राजनीतिक गतिविधियां बढ़ रही है उसे देखते हुए आरक्षण बड़ा मुद्दा बन सकता है।
कांग्रेस के SC ST वोट में सेंध लगा सकती है भाजपा
पंचमशाली आरक्षण तो खैर कोर्ट में अटका है लेकिन बोम्मई ने इस बहाने यह जता दिया है कि वह आरक्षण देना चाहे हैं। यह और बात है कि विपक्ष की ओर से यही मुद्दा बनाया जा रहा है कि सरकार कोर्ट के बहाने से बच रही है। लेकिन एससी आरक्षण में दो फीसद और एसटी आरक्षण में चार फीसद की बढ़ोत्तरी का विषय ऐसा है जो असर दिखा गया तो कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक में भाजपा सेंध लगा सकती है।
यह दांव कांग्रेस को कर सकता है परेशान
बोम्मई की ओर से बार बार बताया भी जा रहा है कि समिति की इस सिफारिश को कांग्रेस काल में लागू नहीं किया गया था लेकिन वह इसे पूरा करेंगे। साथ ही इसे नौंवे शेड्यूल में डालने का आश्वासन दिया गया है ताकि 50 फीसद आरक्षण की सीमा पार करने के बावजूद कोर्ट इसे रोक न सके। यह दांव कांग्रेस को परेशान कर सकता है क्योंकि कर्नाटक की त्रिकोणीय लड़ाई में परंपरागत वोट थोड़ा भी खिसका तो मुश्किल होगी।
बोम्मई सरकार को भी दी जा रही है चुनौती
कांग्रेस इसे जानती है और इसी लिहाज से लगातार सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं और बोम्मई सरकार को चुनौती भी दी जा रही है। समस्या यह है कि नौवें शेड्यूल में इस आरक्षण बढ़ोत्तरी को लाने के लिए संसद की भी अनुमति चाहिए होगी। बजट सत्र का पहला भाग मंगलवार को खत्म हो जाएगा। दूसरा हिस्सा मध्य मार्च में शुरू होगा और माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव की घोषणा तब तक हो जाएगी। यानी वहां आचार संहिता लागू हो सकता है। ऐसे में कर्नाटक सरकार को केंद्र सरकार को राजी करने के लिए दो दिन का ही समय है।

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