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    'मुझे खुशी है कि अमित शाह जी ने...' प्रियंका गांधी ने गृह मंत्री का जताया आभार; आखिर क्या है वजह

    Updated: Tue, 31 Dec 2024 03:20 AM (IST)

    प्रियंका गांधी ने गृह मंत्रालय के इस फैसले का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि मुझे खुशी है कि गृह मंत्री अमित शाह ने वायनाड त्रासदी को गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित करने का निर्णय लिया गया है। इससे पुनर्वास की आवश्यकता वाले लोगों को काफी मदद मिलेगी और निश्चित रूप से ये सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।

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    कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अमित शाह का आभार जताया है।(फोटो सोर्स: एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  गृह मंत्रालय ने वायनाड त्रासदी को गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित किया है। सरकार के इस फैसले का प्रियंका गांधी ने स्वागत करते हुए गृह मंत्रालय का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से लोगों को पुनर्वास में काफी मदद मिलेगी।

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    प्रियंका गांधी ने गृह मंत्रालय के इस फैसले का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, "मुझे खुशी है कि गृह मंत्री अमित शाह ने वायनाड त्रासदी को गंभीर प्राकृतिक आपदा घोषित करने का निर्णय लिया गया है। इससे पुनर्वास की आवश्यकता वाले लोगों को काफी मदद मिलेगी और निश्चित रूप से ये सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।" कांग्रेस सांसद ने आगे लिखा,"यदि इसके लिए पर्याप्त धनराशि भी जल्द-से-जल्द आवंटित की जा सके तो हम सभी आभारी होंगे।"

    इस मामले पर राजनीति न हो: प्रियंका गांधी

    बता दें कि इस महीने की शुरुआत में वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी के नेतृत्व में केरल के सांसद के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। वहीं, भूस्खलन प्रभावित लोगों से केंद्र सरकार द्वारा सहायता भी मांगी गई थी।

    कांग्रेस सांसद ने कहा था कि इस समय वायनाड में भूस्खलन प्रभावित लोगों के पास कोई सहायता प्रणाली नहीं बची है। केंद्र को कई कदम जरूर उठानी चाहिए। प्रियंका गांधी ने अपील की थी कि मानवीय दृष्टिकोण के लिहाज से इस मामले पर राजनीति न हो और वहां के लोगों की मदद की जाए।

    भूस्खलन में 200 से अधिक लोगों की हुई थी मौत 

    29 जुलाई की रात को वायनाड में भूस्खलन हुआ था।  भूस्खलन की वजह से मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा पूरी तरह से तबाह हो गए थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भूसखलन में 200 से अधिक मौतें हुईं, कई घायल हुए और हजारों लोग बेघर हो गए। इसे केरल के इतिहास की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक माना जाता है।

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