1 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र, सरकार ने बनाया '10 विधेयक और वंदे मातरम' वाला प्लान; विपक्ष का SIR मुद्दा तैयार
संसद का शीतकालीन सत्र हंगामेदार होने की संभावना है। विपक्ष एसआईआर, चुनाव आयोग के पक्षपात और अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है, जबकि सरकार 10 प्रमुख विधेयक पेश करने और वंदे मातरम पर चर्चा कराने की योजना बना रही है। दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस होने की उम्मीद है, क्योंकि विपक्ष एसआईआर के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए तैयार है।

1 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र सरकार ने बनाया 10 विधेयक और वंदे मातरम वाला प्लान (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद के सोमवार से शुरू हो रहे शीत सत्र के लिए सरकार और विपक्ष की ओर से अपने-अपने एजेंड़ों-मुद्दों को लेकर शुरू की गई रणनीतिक पेशबंदी से साफ है कि सत्र के दौरान दोनों पक्षों के बीच जोरआजइमाश तय है।
विपक्ष जहां 12 राज्यों में हो रहे एसआईआर की खामियों से लेकर चुनाव आयोग के कथित पक्षपात पर सबसे पहले चर्चा कराने की मांग के साथ सरकार को घेरने का प्रयास करेगा। वहीं सरकार की तैयारी 10 प्रमुख विधेयकों को लाने की है जिसमें निजी क्षेत्र के लिए परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को खोलने, उच्च शिक्षा आयोग के गठन से लेकर कॉरपोरेट और शेयर बाजार से जुड़े कानूनों में बदलाव संबंधी विधेयक शामिम हैं।
सरकार ने क्या बनाया प्लान
जबकि विपक्ष को थामने के लिए सरकार ने वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने को लेकर पहले इस पर चर्चा की तैयारी शुरू कर दी है। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की लगातार गंभीर होती स्थिति पर भी चर्चा की मांग भी सियासी पारे को गरम करेगा। दोनों पक्षों के एजेंड़ों के बीच शीत सत्र संचालन को लेकर सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
भाजपा-एनडीए बिहार के चुनाव नतीजों में बड़ी सफलता के बाद बढ़े उत्साह के साथ सत्र के दौरान अपने एजेंड़े पर आक्रामक रूख अपना विपक्ष को हावी होने का मौका नहीं देना चाहेंगे। जबकि एसआइआर को बिहार में महागठबंधन की पराजय की सबसे बड़ी वजह बता रहा घायल विपक्ष अपने तेवर नरम करने का संकेत नहीं दे रहा है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस 12 राज्यों में फिलहाल कराए जा रहे एसआइआर की खामियों को राजनीतिक तौर पर ही नहीं बल्कि कानूनी मंचों पर उठा रही है। जैसाकि कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि आइएनडीआइए गठबंधन के साथी दलों संग मिलकर संसद के सर्वोच्च मंच पर एसआइआर की खामियों पर चर्चा की मांग उठाई जाएगी।
विपक्षी खेमे के आक्रामक तेवरों का संकेत
तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से हुई अपनी मुलाकात के बाद यह कहते हुए दे भी दिया कि एसआइआर पर आयोग के हाथ खून से रंगे हैं। एसआइआर के जरिए वोटबंदी के दावों के साथ शीत सत्र को गरम करने के विपक्ष के इरादों को भांपते हुए सरकार ने भी राष्ट्रवाद के मसले को अपने एजेंड़े की प्राथमिकता में रखा है।
राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर उसके संपूर्ण पाठ को लेकर संसद के दोनों सदनो में चर्चा कराने की सरकार की तैयारी विपक्ष के सियासी तेवरों को थामने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही 1937 में वंदे मातरम की कुछ पंक्तियों को हटाए जाने को लेकर कांग्रेस पर हमला करते हुए कह चुके हैं कि इसी वजह से देश के विभाजन की नींव पड़ी।
वंदे मातरम पर पहले चर्चा कराने पर एतराज तृणमूल कांग्रेस के लिए भी सहज नहीं है। हालांकि वंदे मातरम के सरकार के रणनीतिक कवच के बावजूद विपक्षी दल एसआइआर में नाम काटने से लेकर बीएलओ की हो रही मौतों के मामले पर तेवर नरम रखेंगे इसकी संभावना नहीं है।
बिहार में एसआइआर और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के वोटचोरी के दावों के बाद विपक्षी दलों ने बीते मानसून सत्र के आखिरी दिनों में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार किया मगर नोटिस के लिए पर्याप्त समय नहीं होने के कारण इसे टाल दिया था।
SIR का मुद्दा होगा और गहरा
संसद में विपक्षी खेमे के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि एसआईआर विवाद कहीं गहरा हो चुका है और चर्चा रोकी जाएगी तो टकराव बढ़ेगा तब आइएनडीआइए ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की पहल से परहेज नहीं करेगा।
खास बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस ही नहीं तमिलनाडु में एसआइआर का विरोध कर रही द्रमुक, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी लगभग एक मत हैं। बेरोजगारी, महंगाई और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के अलावा सरकार द्वारा चार लेबर कोड लागू करने की घोषणा पर भी सत्र में चर्चा की मांग विपक्ष उठाएगा।

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