'मंत्री पद नहीं मिला तो मर नहीं जाऊंगा...', अपने सिद्धांत को लेकर क्या बोले नितिन गडकरी?
नागपुर के ननमुदा संस्थान के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जाति को लेकर मेरा एक पुराना नारा है। मैं शुरू से ही कहता हूं कि जो करेगा जाति की बात उसको मारूंगा लात। मैंने चुनाव हारने या मंत्री पद जाने की कीमत पर भी ये रुख जारी रखा। उन्होंने एक घटना का जिक्र भी किया जब वो एमएलसी के पद पर थे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सार्वजनिक मंच से जातिगत और धार्मिक मुद्दों का जिक्र नहीं करते। उनका विश्वास है कि नेताओं को विकास के कामकाज पर ही ध्यान देना चाहिए।
नागपुर के ननमुदा संस्थान के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा,"हम कभी इन चीजों (धर्म/राजनीति) को लेकर भेदभाव नहीं करते। मैं राजनीति में हूं और यहां बहुत कुछ कहा जाता है, लेकिन मैंने तय किया मैं अपने तरीकों से काम करूंगा और यह नहीं सोचूंगा कि मुझे कौन वोट देगा और कौन नहीं।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा,"जाति को लेकर मेरा एक पुराना नारा है। मैं शुरू से ही कहता हूं कि जो करेगा जाति की बात, उसको मारूंगा लात। मैंने चुनाव हारने या मंत्री पद जाने की कीमत पर भी ये रुख जारी रखा।"
मुस्लिम समुदाय से ज्यादा से ज्यादा इंजीनियर, डॉक्टर बनें: गडकरी
उन्होंने कहा, "जब मैं एमएलसी था तो मैंने अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान (नागपुर) इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति दी। मुझे महसूस हुआ कि मुस्लिम समाज को इसकी जरूरत है। केंद्रीय मंत्री न कहा, "अगर मुस्लिम समुदाय से ज्यादा से ज्यादा इंजीनियर, आईपीएस, आईएएस अधिकारी निकलते हैं तो सभी का विकास होगा। हमारे पास पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण है।"
नितिन गडकरी ने आगे कहा कि आज हजारों छात्र अंजुमन-ए-इस्लाम के बैनर तले इंजीनियर बन चुके हैं। अगर उन्हें पढ़ने का अवसर नहीं मिलता तो कुछ भी नहीं होता। शिक्षा की यही शक्ति है। यह जीवन और समुदायों को बदल सकती है।'
केंद्रीय मंत्री ने अपने सिद्धांत को लेकर कहा कि मैं धर्म और जाति की बातें सार्वजनिक रूप से नहीं करता। समाज सेवा सबसे ऊपर है। चाहे चुनाव हार जाऊं या मंत्री पद चला जाए, अपने इस सिद्धांत पर अटल रहूंगा। मंत्री पद नहीं मिला तो मर नहीं जाऊंगा।
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