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सांसदों-विधायकों से पूछा जाए कि उन पर कितने आपराधिक मामले विचाराधीन

सरकार ने सांसदों-विधायकों के खिलाफ इन लंबित मामलों की जानकारी एकत्रित करने के लिए और समय की मांग भी की है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 09:55 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 02:08 AM (IST)
सांसदों-विधायकों से पूछा जाए कि उन पर कितने आपराधिक मामले विचाराधीन
सांसदों-विधायकों से पूछा जाए कि उन पर कितने आपराधिक मामले विचाराधीन

नई दिल्ली, प्रेट्र। सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों पर एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि सांसदों व विधायकों से पूछा जाए कि उन पर कितने आपराधिक मामले विचाराधीन हैं। इसमें यह भी मांग की गई है कि जो 90 दिनों के भीतर स्थिति स्पष्ट न करें, उनका चुनाव रद हो।

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अधिवक्ता अश्विनि कुमार उपाध्याय ने कहा कि सांसदों व विधायकों पर चल रहे मामलों का पता लगाने के लिए दूसरी कोई व्यवस्था नहीं है, लिहाजा उन्हें ही सच बताने को कहा जाए। गौरतलब है कि सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इन मामलों को निपटाने के लिए 12 विशेष अदालतें गठित की जाएंगी।

हालांकि, सरकार ने सांसदों-विधायकों के खिलाफ इन लंबित मामलों की जानकारी एकत्रित करने के लिए और समय की मांग भी की है। बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने एक नवंबर को केंद्र सरकार को सांसदों-विधायकों की संलिप्तता वाले 1,581 मामलों का विवरण दाखिल करने का निर्देश दिया था। ये वो मामले हैं जिनकी 2014 के आम चुनावों में राजनेताओं ने नामांकन के दौरान घोषणा की थी।

नई याचिका में यह भी कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मामलों का निपटारा करने के लिए जितनी अदालतें केंद्र बनाने जा रहा है वो नाकाफी हैं। केंद्र को इस तरह के मामलों के लिए कम से कम 140 विशेष कोर्ट बनानी चाहिएं। सुप्रीम कोर्ट ने एक नवंबर को केंद्र को आदेश दिया था कि इस मामले में व्यापक रिपोर्ट दाखिल करे।

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