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    'मोहब्बत की दुकान' में भाजपा ने खंगाला घोटालों का पुराना सामान, राहुल गांधी के राग में घोला तीखा तंज

    By Jagran NewsEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Fri, 11 Aug 2023 08:35 PM (IST)

    राहुल गांधी के राग में घोला तीखे तंज तानों और आरोपों का सियासी तराना-पीएम मोदी ने कांग्रेस पर लगाए तुकबंदी में आरोप भाजपा ने बनाया पूरा गाना। भाजपा के ...और पढ़ें

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    भाजपा ने ट्विटर हैंडिल पर जारी किया गीत।

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई महीनों से जनता के बीच अपनी जो मोहब्बत की दुकान सजा रहे हैं, उसमें सियासी सेंध लगाने का प्रयास भाजपा ने किया है। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राहुल के राग में तुकबंदी के साथ कुछ शब्दों में आरोपों का रीमिक्स क्या किया, भाजपा ने उस पर पूरा तराना रच डाला।

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    राहुल गांधी पर कसा तंज

    पार्टी के ट्विटर हैंडिल में जारी किए गए इस गीत में भरपूर तंज है, चुटीले ताने हैं और पूरा प्रयास कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान में विवादों-घोटालों का पुराना सामान दिखाने का है। मोहब्बत की दुकान के संदेश पर ही राहुल गांधी को घेरने के लिए बनाए गए इस गीत की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा में दिए वक्तव्य से होती है, जिसमें वह कहते हैं- देश की जनता भी कह रही है-ये है लूट की दुकान, लूट का बाजार। इसमें नफरत है, घोटाले हैं, तुष्टिकरण है।

    मन काले हैं और परिवारवाद की आग के दशकों से देश हवाले है। इसके बाद संगीत के साथ गाना शुरू होता है, जिसके बोल हैं तुमने खोली एक दुकान, क्या-क्या रखा है सामान, ये तो बता दो। तो जनता बोली- मोहब्बत दिल में रहती है, दुकान में नहीं। ये तो कमाई जाती है, कहीं बिकती नहीं। ये तो दिल में रहती है, दुकान में नहीं। यहां गीत-संगीत के साथ पा‌र्श्व में कुछ चित्र नजर आते हैं। इनमें आइएनडीआइए गठबंधन की बैठक की तस्वीर है।

    अगस्ता वेस्टलैंड के सीईओ पर रिश्वत देने का आरोप

    शीर्षक समाचार की कटिंग नत्थी है। इस गीत के बोल के साथ पीछे चल रहे चित्र एकदम बदलते हैं और शुरू होता है मोदी सरकार की उपलब्धियों का यशगान- दिल की मुहब्बत ने धुएं से दी आजादी, दुश्मन की अकड़ मिटा दी। 70 सालों के धब्बों को एक-एक कर मिटाया है। मेक इन इंडिया का जादू चांद तक पहुंच गया है। गीत की अंतिम पंक्तियां कांग्रेस पर करारे हमले को समर्पित की गई हैं।

    बोल हैं- तुम्हारी दुकान ने इमरजेंसी बेची है, बंटवारा बेचा है। गाली-गलौज बेची है, झूठ सारा बेचा है। संविधान बेचा है, गीता-कुरान बेचा है। इतिहास बेचा है। उड़ी के सच का प्रमाण बेचा है, शर्म करो दुकान वालों तुमने, सेना का अभिमान बेचा है।

    इसीलिए तो जनता बोली- मुहब्बत दिल में रहती है, दुकान में नहीं। अंतिम पंक्तियां गीता- कुरान पर पूर्व मंत्री शिवराज पाटिल के बयान, सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के प्रश्न उठाने और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा इमरजेंसी लगाए जाने से संदर्भित हैं।