एमसीआइ भंग, बोर्ड आफ गवर्नर्स के हवाले देश की मेडिकल शिक्षा की कमान
बीओजी संसद से एनएमसी विधेयक पास होने तक मेडिकल शिक्षा की निगरानी की जिम्मेदारी संभालेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की सबसे भ्रष्ट संस्थाओं में एक मानी जाने वाली मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) को भंग कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में एमसीआइ की जगह नए बोर्ड आफ गवर्नर्स (बीओजी) की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी गई। कैबिनेट के फैसले के तत्काल बाद राष्ट्रपति ने इससे संबंधित अधिसूचना पर हस्ताक्षर भी कर दिया और शाम होते-होते सात सदस्यीय नए बीओजी ने कार्यभार भी संभाल लिया। लोकसभा में लंबित राष्ट्रीय मेडिकल आयोग विधेयक (एनएमसी) के पास होने तक यही बीओजी देश में मेडिकल शिक्षा की निगरानी करेगा।
एमसीआइ को खत्म करने के लिए अध्यादेश जारी
दरअसल एमसीआइ में भ्रष्टाचार के आरोपों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए मई 2016 में निगरानी समिति गठित करने का आदेश दिया था, लेकिन निगरानी समिति के सभी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। उनका आरोप था कि एमसीआइ उनके काम में सहयोग के बजाय उल्टा अड़ंगा लगाता है। यहां तक एमसीआइ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की भी मनमानी व्याख्या कर निगरानी समिति के अधिकार क्षेत्र को मानने से इनकार कर रहा है।
सरकार की कोशिश थी कि संसद के मानसून सत्र में एमसीआइ की जगह एनएमसी विधेयक पास हो जाएगा, लेकिन लोकसभा से यह पास नहीं हो सका।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एमसीआइ में फैले भ्रष्टाचार, मेडिकल शिक्षा में सुधारों के प्रति उसके अडि़यल रवैये और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्ति निगरानी समिति के इस्तीफे को देखते हुए एमसीआइ को खत्म करना जरूरी हो गया था। इसके लिए पूरी कवायद करने के बाद अध्यादेश लाने का फैसला किया है।
एनएमसी विधेयक के संसद से पास होने तक बीओजी करेगा काम
उन्होंने कहा कि नए बीओजी में जिन सात विशिष्ट डाक्टरों को सदस्य बनाया गया है। उनमें से पांच इसके पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित निगरानी समिति के भी सदस्य थे। इनमें नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल, एम्स के निदेशक डा. रनदीप गुलेरिया, पीजीआइ चंडीगढ़ के निदेशक डा. जगत राम, निमहांस बेंगालुरू के निदेशक डा. बीएन गंगाधर और एम्स के प्रोफेसर डा. निखिल टंडन शामिल हैं। इनके अलावा बीओजी में भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (डीजीएसस ) डा. एस वेंकटेश और आइसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव को बीओजी का पदेन सदस्य बनाया गया है।
यह बीओजी संसद से एनएमसी विधेयक पास होने तक मेडिकल शिक्षा की निगरानी की जिम्मेदारी संभालेगा। सरकार को उम्मीद है कि संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा से विधेयक पास हो जाएगा।