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    'चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को सुनियोजित तरीके से नष्ट करने की साजिश', केंद्र सरकार पर भड़के मल्लिकार्जुन खरगे

    केंद्र सरकार ने चुनाव नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत आम जनता चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का सार्वजनिक निरीक्षण नहीं कर सकेगी। मगर यह दस्तावेज उम्मीदवार को मांगने पर मिलेंगे। सरकार ने यह फैसला रिकॉर्ड के संभावित दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से उठाया है। अब केंद्र सरकार के इस फैसले पर मल्लिकार्जुन खरगे ने निशाना साधा है।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 22 Dec 2024 09:18 PM (IST)
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    कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे। ( फोटो- पीटीआई )

    पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज को आम लोगों की पहुंच से रोकने के लिए चुनाव नियम में बदलाव को लेकर सरकार की आलोचना की। कहा कि यह चुनाव आयोग की संस्थागत विश्वसनीयता को नष्ट करने की मोदी सरकार की व्यवस्थित साजिश का हिस्सा है।

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    लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला

    मोदी सरकार द्वारा चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को सुनियोजित तरीके से नष्ट करना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है। बताते चलें कि चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्रालय ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया है।

    इसके तहत सीसीटीवी कैमरा फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज के सार्वजनिक निरीक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि उनका दुरुपयोग रोका जा सके।

    मतदाता की गोपनीयता हो सकती प्रभावित

    निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि नियमों का हवाला देते हुए कई बार लोग इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांग लेते हैं। हालांकि, मतदान केंद्रों के अंदर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के दुरुपयोग से मतदाता की गोपनीयता प्रभावित हो सकती है। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए खरगे ने कहा कि चुनाव संचालन नियम में मोदी सरकार का दुस्साहसिक संशोधन चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को नष्ट करने की व्यवस्थित साजिश है।

    केंद्र सरकार के खरगे ने घेरा

    मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इससे पहले सरकार ने प्रधान न्यायाधीश को उस पैनल से हटा दिया था, जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करता है। अब वह हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी को रोकने का सहारा ले रही है। खरगे ने कहा कि जब भी कांग्रेस ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने और ईवीएम में पारदर्शिता की कमी जैसी अनियमितताओं के बारे में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है, तो आयोग ने तिरस्कारपूर्ण लहजे में जवाब दिया है। इसने कुछ गंभीर शिकायतों को स्वीकार भी नहीं किया है।

    नियम 93 में किया गया संशोधन

    केंद्र सरकार ने चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 93 में संशोधन किया है। पहले इन नियम में प्रावधान था कि चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेज सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। मगर अब संशोधन होने की वजह से आम जनता इन इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का सार्वजनिक निरीक्षण नहीं कर सकेंगे। हालांकि यह दस्तावेज उम्मीदवारों के लिए मौजूद रहेंगे। उनके मांगने पर आयोग उपलब्ध कराएगा।

    सरकार ने यह कदम इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज के संभावित दुरुपयोग को रोकने की उद्देश्य से उठाया है। आशंका है कि एआई के माध्यम से इन इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की जा सकती है। इससे चुनाव को भी प्रभावित किया जा सकता है।

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