Maharashtra Politics: 'ऐसा कभी नहीं हुआ...', सरकार गठन में देरी पर शरद पवार का आया रिएक्शन, चुनाव पर भी उठाए सवाल
Maharashtra Politics शरद पवार ने सरकार गठन में देरी पर महायुति पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये काफी दिलचस्प है कि इतना बड़ा बहुमत पाने के बाद भी ये लोग अब तक सरकार नहीं बना पाए हैं। ये साफ तौर पर जनादेश का अपमान है क्योंकि ये दिखाता है कि महायुति के लिए जनादेश मायने नहीं रखता है।

पीटीआई, पुणे। Maharashtra Politics महाराष्ट्र के चुनावी परिणाम और राज्य में सरकार गठन में देरी पर शरद पवार का रिएक्शन सामने आया है। एनसीपी (शरद गुट) प्रमुख ने कहा कि महाराष्ट्र के पूरे चुनाव तंत्र को नियंत्रित करने के लिए सत्ता और धन का दुरुपयोग हुआ, जो पहले कभी किसी राज्य विधानसभा या राष्ट्रीय चुनाव में नहीं देखा गया था।
CM को लेकर महायुति पर साधा निशाना
पवार ने सरकार गठन में देरी पर महायुति पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये काफी दिलचस्प है कि इतना बड़ा बहुमत पाने के बाद भी ये लोग अब तक सरकार नहीं बना पाए हैं। ये साफ तौर पर जनादेश का अपमान है, क्योंकि ये दिखाता है कि महायुति के लिए जनादेश मायने नहीं रखता है।
पवार ने यह बयान वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉ. बाबा अधव से मिलने के दौरान दिया, जो महाराष्ट्र में हाल ही में हुए राज्य चुनावों में कथित "ईवीएम के दुरुपयोग" के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 90 वर्षीय अधव ने गुरुवार को शहर में समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के निवास फुले वाडा में अपना तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन शुरू किया।
चुनाव में सत्ता और धन का हुआ दुरुपयोग
पत्रकारों से बात करते हुए पवार ने कहा कि ईवीएम में वोट डाले जाने के कुछ नेताओं के दावों में कुछ सच्चाई है, लेकिन उनके पास इसे पुष्ट करने के लिए सबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच यह चर्चा है कि महाराष्ट्र में हाल ही में हुए चुनावों में 'सत्ता का दुरुपयोग' और 'धन की बाढ़' देखी गई, जो पहले कभी नहीं देखी गई।
स्थानीय स्तर के चुनावों में ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं, लेकिन धन की मदद से पूरे चुनाव तंत्र को अपने कब्जे में लेना और सत्ता का दुरुपयोग पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि इससे लोग अब बेचैन हैं।
लोकतंत्र के नष्ट होने का खतरा
शरद पवार ने आगे कहा कि संसदीय लोकतंत्र के नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है, इसलिए बड़े पैमाने पर विद्रोह जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिनके हाथ में देश की बागडोर है, उन्हें इसकी जरा भी परवाह नहीं है। उन्होंने दावा किया कि देश में ईवीएम के कथित दुरुपयोग पर व्यापक चर्चा के बावजूद, जब भी विपक्ष संसद में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश करता है, तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाता। इससे पता चलता है कि वे संसदीय लोकतंत्र पर हमला करना चाहते हैं।
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