'इस्तेमाल किए गए इजरायली कैमरे', अब सामना के संपादकीय में फोड़ा गया 'हनीट्रैप' बम
शिवसेना (यूबीटी) के अनुसार महाविकास अघाड़ी के विधायकों और सांसदों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए छिपे हुए कैमरों और पेगासस जैसी निगरानी प्रणाली का उपयोग किया गया जिसके कारण 2022 में उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि केंद्रीय एजेंसियों के दबाव और हनीट्रैप के कारण विधायकों ने पाला बदला और भाजपा से हाथ मिलाया।

पीटीआई, मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) ने कहा है कि महाविकास आघाडी (एमवीए) के विधायकों और सांसदों को 'हनीट्रैप' में फंसाने के लिए छिपे हुए कैमरों और पेगासस जैसी निगरानी प्रणाली का उपयोग किया गया। इसके चलते ही 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।
सामना के संपादकीय में कहा गया है कि अविभाजित शिवसेना और राकांपा के कुछ विधायकों ने केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में पाला बदल लिया। कम से कम 18 विधायक और चार सांसद 'हनीट्रैप' में फंस गए। इस कारण उन्हें अपनी छवि बचाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाना पड़ा।
'सांसदों और विधायकों को किया गया ब्लैकमेल'
इसमें कहा गया है कि कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया था कि सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया गया और विपक्ष के एक पूर्व नेता के रूप में उनकी टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
'इजरायल से लाए गए कैमरों का किया गया इस्तेमाल'
संपादकीय में कहा गया है कि इजरायल से लाए गए गुप्त कैमरों और पेगासस जैसी प्रणाली का निगरानी के लिए पूरी तरह से उपयोग किया गया। एमवीए सरकार इसी हनीट्रैप के कारण गिर गई।
गौरतलब है कि पेगासस एक स्पाइवेयर है, जिसे इजरायली साइबर-आर्म्स कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है। कहा गया है कि जब शिवसेना के सांसदों और विधायकों से जुड़े हनीट्रैप के सुबूतों से भरी एक पेन ड्राइव एकनाथ शिंदे को सौंपी गई तो वे सूरत, गुवाहाटी और फिर गोवा की यात्रा पर निकल पड़े।
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