Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Loksabha Election 2019: BJP को 23 साल बाद आदिवासी लोकसभा सीटों पर चुनौती

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Wed, 30 Jan 2019 12:19 PM (IST)

    फिलहाल यहां की छह में से पांच सीटें भाजपा के पास हैं और एक पर कांग्रेस का कब्जा। ज्यादातर सीट पर भाजपा नए चेहरे तलाश रही। ...और पढ़ें

    Hero Image
    Loksabha Election 2019: BJP को 23 साल बाद आदिवासी लोकसभा सीटों पर चुनौती

    भोपाल [धनंजय प्रताप सिंह]। लोकसभा चुनाव 2019 जैसे-जैसे करीब आ रहा है, राजनीतिक पार्टियां चुनावी समीकरण सेट करने में लगी हुई हैं। सभी पार्टियां अपने पारंपरिक वोट बैंक के साथ ही नए वोट बैंक को साधने में जुटी हुई हैं। ऐसे में भाजपा को मध्य प्रदेश में भारी नुकसान होता दिख रहा है, वह भी उसकी पारंपरिक सीटों पर।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को 23 साल बाद पहली बार आदिवासी लोकसभा सीटों पर चुनौती मिल रही है। पिछले कई चुनाव से प्रदेश की अधिकांश लोकसभा सीटें भाजपा जीतती रही है। ये पहला मौका है, जब आदिवासी वोट बैंक भाजपा के हाथों से फिसलता नजर आ रहा है।

    विधानसभा चुनाव के नतीजे भी देखें तो स्पष्ट है कि भाजपा को इन सुरक्षित सीटों पर भारी नुकसान होने की आशंका है। भाजपा को विधानसभा चुनाव में भी मालवा से महाकोशल तक आदिवासी सीटों पर नुकसान हुआ है। इस आधार पर देखा जाए तो मौजूदा परिणाम दोहराना भाजपा के लिए काफी मुश्किल होगा।

    अनुसूचित जनजाति सीटों की स्थिति
    सीट                 सांसद
    शहडोल            ज्ञानसिंह
    मंडला              फग्गनसिंह कुलस्ते
    बैतूल               ज्योति धुर्वे
    खरगोन           सुभाष पटेल
    धार                सावित्री ठाकुर
    रतलाम           कांतिलाल भूरिया

    अब मुश्किल में हैं ये आधा दर्जन सीटें
    धार- जिन सीटों पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा है, उनमें आदिवासी सीट धार सबसे अहम है। इस बार धार संसदीय सीट की आठ विधानसभा क्षेत्रों में से छह पर कांग्रेस जीती है। यहां से सावित्री ठाकुर सांसद हैं। इस सीट पर विक्रम वर्मा और रंजना बघेल के दो अलग-अलग गुट हैं। रंजना खुद विधानसभा का चुनाव हार गई हैं। पार्टी यहां नया प्रत्याशी तलाश रही है।

    मंडला- पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला से सांसद हैं। यहां भी विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात्र दो विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली है। कांग्रेस ने इस संसदीय सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की है। पार्टी सर्वे में यहां कुलस्ते के खिलाफ एंटीइनकमबेंसी सामने आई है। पार्टी यहां से सम्पतिया उईके के नाम पर भी विचार कर रही है।

    शहडोल- सांसद ज्ञान सिंह के इस क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस बराबरी पर है। विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों को चार-चार सीट मिली है। शहडोल में भाजपा के साथ प्लस पाइंट यह है कि उसके यहां मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और विश्वविद्यालय सहित कई विकास कार्य कराए गए हैं, जिसके कारण ज्ञान सिंह की स्थिति को ठीक आंका जा रहा है, पर कांग्रेस ने मजबूत प्रत्याशी दे दिया तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। वैसे भी यहां पिछली बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के हीरासिंह मरकाम ने त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनाकर भाजपा की राह आसान कर दी थी।

    बैतूल- सांसद ज्योति धुर्वे पिछले लंबे समय से फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आरोप झेल रही हैं। विधानसभा चुनाव के परिणामों को भी देखें तो बैतूल में भाजपा और कांग्रेस चार-चार सीट लेकर बराबरी पर है। लोकसभा चुनाव में पार्टी के सामने संकट यह है कि यदि ज्योति धुर्वे को लेकर चुनाव में उतारा जाता है तो सबसे पहले उनकी जाति पर सवाल उठेंगे। कांग्रेस की तैयारी लोकसभा चुनाव में नया चेहरा उतारने की है।

    रतलाम- फिलहाल इस सीट पर कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया सांसद हैं। भूरिया उपचुनाव जीतकर सांसद बने हैं। इससे पहले भाजपा के दिलीपसिंह भूरिया ने 2014 में कांतिलाल को हराया था। विधानसभा चुनाव में यहां भी भाजपा को मात्र तीन सीटों पर ही बढ़त मिली है। वहीं, कांग्रेस पांच सीटों पर आगे रही। भाजपा के पास निर्मला भूरिया के अलावा अब तक कोई विकल्प नहीं है। निर्मला उपचुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी रही हैं और हार गई थीं।

    खरगोन- खरगोन सीट पर भी भाजपा की राह इस बार मुश्किल है। भाजपा के कब्जे वाली इस संसदीय सीट पर विधानसभा चुनाव में एकमात्र सीट पर बढ़त मिली है। एक निर्दलीय और बाकी छह सीटों पर कांग्रेस आगे रही है। ऐसे हालात में पार्टी यहां भी सांसद सुभाष पटेल का विकल्प तलाश रही है।

    फैक्ट फाइल
    कुल सीटें - 29
    ST सीटें - 06
    SC सीटें - 04
    सामान्य - 19

    यह भी पढ़ें-
    गांधी का हत्यारा गोडसे ऐसे बना था नाथूराम, अंधविश्वास में लड़कियों की तरह बीता था बचपन
    जानिए- क्या है Arctic Blast, जिसकी वजह से ठिठुर रहे हैं भारत व अमेरिका समेत कई देश

    Loksabha Election 2019: राजस्थान में 15 जिलाध्यक्ष बदले, वसुंधरा खेमे के पर कतर रही पार्टी?
    70 साल पहले बना दुनिया का सबसे आधुनिक मॉल, जिसके नाम से कांप जाती है लोगों की रूह
    पवित्र बैल की हत्या से जुड़ी 98 ईसाइयों के हिंदू बनने की कहानी!, ऐसा पहली बार हुआ है