Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    543 नहीं... 750 सीटों पर होगा लोकसभा चुनाव 2029? पढ़ें सीटें बढ़ाने के विरोध में क्यों हैं दक्षिणी राज्य

    Updated: Tue, 17 Sep 2024 06:54 PM (IST)

    साल 2029 में होने वाला अगला लोकसभा चुनाव 543 नहीं बल्कि 750 सीटों पर हो सकता है। देश में 2027 में जनगणना कराए जाने की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि 2029 का अगला लोकसभा चुनाव परिसीमन के बाद 543 की बजाय लगभग साढ़े सात सौ सीटों के लिए होगा जिनमें नारी शक्ति वंदन अधिनियम के मुताबिक एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

    Hero Image
    2029 में 543 की जगह 750 सीटों पर लोकसभा चुनाव हो सकता है

    नीलू रंजन, नई दिल्ली। लोकसभा का अगला चुनाव 2029 में बढ़ी हुई सीटों के साथ हो सकता है। 2002 के परिसीमन कानून में 2026 तक लोकसभा की सीटें बढ़ाने पर रोक लगी हुई। कानून में साफ किया गया है कि 2026 के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर ही सीटों का परिसीमन होगा। यदि जनगणना 2027 में होने की स्थिति में उसके आंकड़ों के आधार परिसीमन करने में कोई समस्या नहीं होगी। ध्यान देने की बात है कि 2021 में होने वाली जनगणना कोरोना के कारण नहीं हो सकी थी और अब इसके 2027 में होने की संभावना जताई जा रही है। इससे 2002 के परिसीमन कानून में संशोधन के बिना ही 2029 के पहले परिसीमन का रास्ता साफ हो जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    2008 में हुआ था लोकसभा सीटों का परिसीमन

    2002 के परिसीमन कानून में लोकसभा की सीटें बढ़ाये बिना ही जनसंख्या वितरण के आधार पर सीटों के परिसीमन का प्रावधान किया गया था। इसके आधार पर 2008 में लोकसभा की सीटों का परिसीमन किया गया था। 2026 तक रोक लगने और उसके बाद होने वाली जनगणना के आधार पर परिसीमन कराने की शर्त के कारण माना जा रहा था कि अगला परिसीमन 2031 की जनगणना के बाद ही हो सकेगा, लेकिन यदि 2021 में होने वाली जनगणना 2027 में होती है तो 2031 की जनगणना के लिए परिसीमन का इंतजार नहीं करना होगा।

    750 सीटों पर होगा लोकसभा चुनाव?

    माना जा रहा है कि 2029 का अगला लोकसभा चुनाव परिसीमन के बाद 543 की बजाय लगभग साढ़े सात सौ सीटों के लिए होगा, जिनमें नारी शक्ति वंदन अधिनियम के मुताबिक एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। लोकसभा सीटों को बढ़ाने में सबसे ज्यादा पेंच दक्षिण के राज्यों के विरोध का है। जनसंख्या वृद्धि दर पर सफलतापूर्वक अंकुश लगाने के कारण दक्षिण भारत के राज्यों में उत्तर भारत के राज्यों की तुलना में जनसंख्या की बढ़ोतरी कम हुई है। यदि समान जनसंख्या के आधार पर सीटों पर निर्धारण होता है तो लोकसभा में दक्षिण के राज्यों का प्रतिनिधित्व गिर सकता है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं।

    उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार दक्षिण के राज्यों की चिंता से वाकिफ है और परिसीमन के दौरान उनके हितों का खास ध्यान रखने पर जोर दिया जाएगा। इसके तहत सिर्फ जनसंख्या के आधार पर सीटों के निर्धारण के बजाय उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय राज्यों के बीच एक आनुपातिक प्रणाली के तहत सीटों को बढ़ाने का फॉर्मूला निकाला जा सकता है। ताकि दक्षिण के राज्यों का लोकसभा प्रतिनिधित्व प्रभावित नहीं हो। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मौजूदा ढांचे में ही यह किया जा सकता है। उनके अनुसार अंडमान निकोबार समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में कम जनसंख्या के बावजूद उन्हें लोकसभा में प्रतिनिधित्व दिया जाता है।

    ये भी पढ़ें:

    जम्मू-कश्मीर में इंजीनियर रशीद की रणनीति से बौखलाईं सभी पार्टियां, समझें कैसे बदल सकता है घाटी में चुनावी गणित

    comedy show banner