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    चिराग पासवान की पार्टी के बड़े नेताओं ने थामा उपेंद्र कुशवाहा का दामन, इस बड़े फेरबदल की वजह क्या?

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 10:46 PM (IST)

    चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को उस समय झटका लगा जब ए.के. बाजपेयी ने उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा का दामन थाम लिया। बाजपेयी ने चिराग प ...और पढ़ें

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    लोजपा (रामविलास) और रालोमो दोनों ही एनडीए का हिस्सा हैं (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को उस समय बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल और स्व. रामविलास पासवान के बेहद करीबी रहे ए.के. बाजपेयी ने अपने समर्थकों के साथ उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) का दामन थाम लिया।

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    खास बात यह कि लोजपा (रामविलास) और रालोमो दोनों ही एनडीए का हिस्सा हैं और बिहार में नीतीश कुमार सरकार में साझेदार भी हैं। दल बदलने पर बाजपेयी ने लोजपा छोड़ने के पीछे अपनी पीड़ा खुलकर रखी। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान के नेतृत्व में उन्हें मान-सम्मान की कमी महसूस हुई और क्षमता के अनुरूप भूमिका नहीं मिली तो निर्णय लेना पड़ा। हम अपने घर में वापस आए हैं।

    दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में थामा दामन

    दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में मंगलवार को आयोजित मिलन समारोह में उपेंद्र कुशवाहा की मौजूदगी में बाजपेयी ने रालोमो की सदस्यता ली। बाजपेयी लोजपा में राष्ट्रीय वरिष्ठ अध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता जैसे अहम पदों पर रहे हैं। वे 1985 से पासवान परिवार के विश्वस्त सहयोगी माने जाते रहे हैं। उनके जाने से लोजपा के पुराने कैडर में खलबली है।

    बाजपेयी के साथ-साथ पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के दर्जन भर वरिष्ठ नेताओं ने भी रालोमो की सदस्यता ली। उपेंद्र कुशवाहा ने इस राजनीतिक घटनाक्रम को एनडीए के लिए सकारात्मक बताते हुए कहा कि बाजपेयी जैसे अनुभवी नेता के आने से न सिर्फ रालोमो बल्कि पूरा एनडीए मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि अगर बाजपेयी एनडीए से बाहर किसी अन्य दल में जाते तो नुकसान होता, लेकिन घी दाल में ही गिरा है। बाजपेयी की क्षमता सबने देखी है और अब उसका लाभ हमारी पार्टी के साथ ही एनडीए को भी मिलेगा।

    गठबंधन की सहयोगी पार्टी से नेताओं के आने के सवाल पर कुशवाहा ने स्पष्ट किया कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं रही, बल्कि संबंधित नेताओं ने स्वयं फैसला लिया है। मौके पर पृथ्वी राज यादव, नवीन सिंह, बी. कौशिक और शबनम खान जैसे कुछ प्रमुख नेताओं ने भी रालोमो की सदस्यता ली। उपेंद्र कुशवाहा ने इसे पार्टी की बढ़ती स्वीकार्यता बताते हुए सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों के लिए संघर्ष तेज करने का दावा किया।

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