'इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए', सिद्दरमैया से सत्ता विवाद के बीच ऐसा क्यों बोले डीके शिवकुमार?
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के बीच खींचतान जारी है। डीके शिवकुमार ने वकीलों के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर कुर्सी मिलती है तो इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। उनकी इस टिप्पणी को सत्ता संघर्ष से जोड़कर देखा जा रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में इन दिनों राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता की कुर्सी को लेकर रस्साकसी चल रही है। इन सब के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि अगर कुर्सी पर बैठने का मौका मिलता है तो उसे हाथ से जाने नहीं देना चाहिए।
शुक्रवार (11 जुलाई, 2025) को बैंगलोर एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित केम्पेगौड़ा जयंती कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, "मैं यहां पर कई वकीलों को देख रहा हूं, जो खाली कुर्सियों के बाद भी नहीं बैठ रहे हैं और हम सब एक कुर्सी खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुर्सी पाना आसान नहीं है। जब आपको मौका मिले तो बैठ जाना चाहिए और इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए।"
'जब भी मौका मिले तो पूरा फायदा उठाएं'
उन्होंने आगे कहा, "ऐसा लगता है कि आप में से कई लोग स्वभाव से ही त्याग करने वाले हैं। इतनी अच्छी इमारत और शानदार कुर्सियां बनवाई गईं हैं, जब भी मौका मिले उसका पूरा फायदा उठाएं।" हालांकि शिवकुमार की इस टिप्पणी पर वकीलों ने तो खूब ठहाके लगाए लेकिन कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर जो सत्ता संघर्ष चल रहा है, उसको लेकर ये टिप्पणी काफी अहम हो जाती है।
क्या सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के बीच हुई थी कोई डील?
कर्नाटक में मई 2023 में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनी और तभी से ऐसी अफवाहें चल रही हैं कि सिद्दरमैया और डीके शिवकुमार के बीच ढाई-ढाई साल के लिए सत्ता की कुर्सी पर बैठने का समझौता हुआ था। इस कथित समझौते को लेकर कांग्रेस ने न तो कभी इनकार किया और न हामी भरी। हालांकि, गुरुवार (10 जुलाई, 2025) को सिद्दरमैया ने ये कहकर अफवाहों पर विराम लगा दिया कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे और मुख्यमंत्री की कुर्सी अभी खाली नहीं है।
उन्होंने कहा, "नेतृ्त्व का सवाल आलाकमान के पास नहीं है। इसे सुलझा लिया गया है। मुझे कांग्रेस आलाकमान से पूरा समर्थन मिल रहा है। अगर ऐसा नहीं होता तो मैं अपने पद पर नहीं बना रहता।"
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