चारा घोटाले से लेकर रेलवे टेंडर स्कैम तक, जानिए घोटालों की संपूर्ण 'लालू कथा'
लालू यादव खुद को समाजवादी नेता कहते रहे हैं। लेकिन चारा घोटाला से लेकर टेंडर घोटाला उनकी दूसरी तस्वीर पेश करता है। चारा घोटाले के एक मामले में शुक्रवार को उन्हें सजा सुनाई जाएगी।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। लालू प्रसाद यादव किसी परिचय के मोहताज नहीं है। भारतीय राजनीति में समाजवादी विचारधारा का एक खास चेहरा। समाजवादी आंदोलन को एक मुकाम पर पहुंचाने का उनको श्रेय भी जाता है। राजनीति के मर्म को उन्होंने समझा, जनता के दिलों पर राज किया और जनता ने भी उन्हें अपने मार्गदर्शक के तौर पर देखा। लेकिन लालू प्रसाद यादव की समाजवादी गाथा का एक दूसरा चेहरा ये है कि गरीब, गुरबा की बात करने वाला उस शख्स के ऊपर भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए। कुछ मामलों में सजा हुई और कुछ मामलों की जांच चल रही है।
पहले से ही बेनामी संपत्ति के मामले में फंसे लालू यादव और उनके परिवार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से करीब पौने दो सौ करोड़ की लालू परिवार की संपत्ति जब्त किए जाने के बाद सीबीआई ने लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए टेंडर घोटाले को लेकर पांच जुलाई को भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी।
उसके दो दिन बाद यानि सात जुलाई 2017 को केन्द्रीय जांच जांच एजेंसी ने शुक्रवार को पटना, रांची, गुरुग्राम और भुवनेश्वर समेत 12 ठिकानों पर छापेमारी की थी। सीबीआइ की छापेमारी लालू यादव और उनके परिवार के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं थी।
क्यों हुई छापेमारी?
छापेमारी के बाद सीबीआइ ने कहा था कि पांच जुलाई को पूर्व रेलमंत्री और अन्य के खिलाफ षडयंत्र रचने के आरोप में केस दर्ज किया है, जिसके तहत उन्होंने 32 करोड़ रुपये की तीन एकड़ की जमीन पटना में सिर्फ 54 लाख रुपये में अपने नाम करा ली थी।
इस केस में सीबीआई ने पांच जुलाई को रेलवे टेंडर घोटाले में जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है वो हैं- लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी, आईआरसीटीसी के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर पीके गोयल, लालू यादव के बेहद करीबी प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता और सुजाता होटल प्राइवेट लिमिडेड के डायरेक्टर विजय और विनय कोचर। सीबीआइ के एडिनशनल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि लालू के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार के अंतर्गत 120बी यानि आपराधिक साजिश रचने और 420 यानि फर्जीवाड़े का केस दर्ज किया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, ये पूरा मामला है साल 2006 का, जिस वक्त लालू यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। ऐसा माना जा रहा है कि साल 2006 में रांची और पुरी के बीएनआर होटलों के विकास, रखरखाव और संचालन के लिए टेंडर में कथित अनियमितता पाए जाने के संबंध में ये एफआईआर दर्ज की गईं। यह टेंडर सुजाता होटल्स को दिए गए थे। बीएनआर होटल रेलवे के हैरिटेज होटल हैं, जिन्हें उसी साल आईआरसीटीसी ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। केस दर्ज किए जाने के बाद दिल्ली, पटना, रांची, पुरी और गुरुग्राम सहित 12 स्थानों पर छापेमारी की गई है।
बेनामी संपत्ति में फंसे हैं लालू यादव
हालांकि, ऐसा नहीं है कि पहली बार लालू यादव के ऊपर इस तरह का भ्रष्टाचार का कोई केस दर्ज किया गया हो। इससे पहले आयकर विभाग बेनामी लेने-देन एक्ट के अंतर्गत एक हजार करोड़ रुपये के जमीन सौदे और कर चोरी को लेकर लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे-बेटियों पर केस दर्ज कर चुका है। इसके साथ ही आयकर विभाग ने लालू यादव की बेटी मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार, राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी प्रसाद को संपत्ति जब्त करने का नोटिस भी भेज चुका है।
आयकर विभाग ने उनकी दिल्ली और पटना की अचल संपत्तियां जैसे- जमीन, प्लॉट्स और बिल्डिंग्स जिसकी कीमत 9.30 करोड़ बताई जा रही है, लेकिन उसकी वास्तविक मौजूदा बाजार कीमत 170 से 180 करोड़ रुपये हो सकती है, उसे भी जब्त कर लिया। आयकर विभाग की तरफ से पटना के फुलवारी शरीफ में 9 प्लॉट्स जहां पर एक मॉल भी बनाया जा रहा था, को जब्त कर लिया गया है। आयकर विभाग ने कहा कि लालू यादव के रिश्तेदार भी बेनामी संपत्ति के अंतर्गत संदेह के घेरे में हैं।
चारा घोटाला में जेल जा चुके है लालू यादव
लालू और उनका परिवार चारा घोटाले के भी अभियुक्त हैं, जो अब 21 वर्ष पुराना हो चुका है। इसमें आरजेडी प्रमुख के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। इस घोटाले में सरकारी फंड का बड़ी मात्रा में फर्जीवाड़ा हुआ था और नकली बिल बनाकर भुगतान दिखाया गया है। पशुओं के चारे के नाम पर वो सारे बिल बनाए गए थे और लेन-देन दिखाया गया था। करीब 950 करोड़ रुपये के इस घोटाले में लालू यादव को मुख्यमंत्री का पद छोड़कर जेल जाना पड़ा था।
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