जानें, कैसे समाजवादी चाल से करोड़ों के मालिक बन बैठे लालू यादव एंड संस
क्या कोई समाजवादी नेता या उसका परिवार अकूत धन संपदा का मालिक हो सकता है। जवाब न में होगा, लेकिन लालू और उनके परिवार की कहानी कुछ और ही है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । 1947 से लेकर सत्तर के दशक के मध्य तक राष्ट्रीय राजनीति और प्रदेशों की राजनीति में कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन उसी दौर में कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ पार्टी के अंदर और बाहर विरोध के सुर भी सुनने को मिलते थे। खासतौर से इंदिरा गांधी के खिलाफ समाजवादी नेताओं ने मोर्चा खोल रखा था। समाजवादी नेताओं ने भारतीय जनमानस को इस कदर झकझोरा कि इंदिरा गांधी उन लोगों को अपने लिए खतरा महसूस करने लगीं, नतीजा ये निकला कि देश को आपातकाल का दौर देखना पड़ा। लेकिन आपातकाल का एक दूसरा पक्ष ये भी रहा कि देश के राजनैतिक धरातल पर नौजवान समाजवादी नेताओं ने दस्तक दी। उस आंदोलन के ही उपज थे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव। क्या समाजवादी नेताओं के पास संपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्या उन्हें सुख सुविधा से भरा हुआ जीवन व्यतीत करने का अधिकार नहीं है। ये सवाल हैं, जिनके कई जवाब हो सकते हैं। लेकिन लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने जिन तरीकों से संपत्ति अर्जित की वो सवाल करती है कि क्या गैर कानूनी ढंग से संपत्ति अर्जित करने के लिए समाजवाद इजाजत देता है।
जब्त होगी लालू के मॉल की जमीन
रेलवे का होटल लीज पर देकर बदले में जमीन लेने के आरोप में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। सीबीआइ के एफआइआर के बाद इस मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने जा रहा है। मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत ईडी मॉल की जमीन के साथ-साथ होटल को भी जब्त कर सकता है।
ईडी इस मामले में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने का मन बना चुका है। वह सीबीआइ से एफआइआर की प्रति मांग चुका है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मनी लांड्रिंग का यह सटीक केस है। इस मामले में लालू, उनकी पत्नी, बेटे के साथ-साथ चाणक्य होटल के मालिक विनय कोचर ने फायदा उठाया है। कोचर रांची और पुरी के आइआरसीटीसी के दो होटलों की लीज सस्ते में लेने में सफल रहे। वहीं इसके एवज में लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद को 94 करोड़ की जमीन 64 लाख रुपये में मिल गई। इसी जमीन पर तेजस्वी यादव बिहार का सबसे बड़ा मॉल बना रहे थे।
आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू ने चाणक्य होटल के मालिकों के साथ मिलीभगत कर उन्हें रांची और पुरी के आइआरसीटीसी होटलों को सस्ते में लीज पर दे दिया था। इसके एवज में लालू यादव के सहयोगी प्रेमचंद गुप्ता के परिवार की कंपनियों के नाम पर पटना के प्राइम इलाके में तीन एकड़ जमीन ट्रांसफर कर दी गई। 2010 के बाद यह धीरे-धीरे लालू, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की स्वामित्व वाली कंपनी के अधिकार में आ गई।
इस आधार पर जब्त होगी मॉल की जमीन
मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के अनुसार होटल को लीज पर देना और जमीन लेना दोनों ही अवैध कमाई का हिस्सा है। ईडी को इन्हें जब्त करने का अधिकार है। प्रवर्तन निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जल्द ही इस मामले में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर लिया जाएगा। शुरुआती सुबूत जुटाने के साथ ही दोनों होटलों और मॉल की जमीन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया जाएगा। अदालत में आरोप सही साबित होने के बाद इन्हें स्थायी रूप से जब्त किया जाएगा।
पहली बार मनी लांड्रिंग का शिकंजा
- लालू यादव पहली बार मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून का सामना करेंगे। चारा घोटाले की जांच के समय मनी लांड्रिंग का कानून था ही नहीं।
- उस समय सीबीआइ ने उनके खिलाफ सिर्फ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत जांच की थी।
- मनी लांड्रिंग पर कानून 2002 में बना था। उसकी जांच के दायरे में भ्रष्टाचार से की गई काली कमाई को 2010 में लाया गया था।
- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पहले राजनेता थे, जिनके खिलाफ मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई हुई थी।
यह भी पढ़ें: चारा घोटाले से लेकर रेलवे टेंडर तक, जानिए घोटालों की संपूर्ण 'लालू कथा'
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।