जयशंकर ने 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद वाजपेयी की कूटनीति को सराहा, बोले- 'उन्हें थी विश्व की गहन समझ'
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 1998 में किए गए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद उनकी कुशल कूटनीति के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अब चीन के साथ आपसी सम्मान संवेदनशीलता और आपसी हित का काफी श्रेय वाजपेयी को जाता है।
नई दिल्ली, एजेंसी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 1998 में भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के बाद कूटनीति स्थिति से निपटने में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रवैये की जमकर प्रशंसा की। वे तीसरे अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।
विदेश मंत्री जयशंकर ने वाजपेयी के कार्यकाल की चर्चा की
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दो साल के भीतर ही भारत ने दुनिया के सभी प्रमुख देशों को फिर से अपने साथ जोड़ लिया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने वाजपेयी के कार्यकाल की चर्चा की। उन्होंने अमेरिका और रूस के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने में वाजपेयी की भूमिका को भी सराहा।
अधिकांश का श्रेय पूर्व पीएम वाजपेयी को ही जाता है- जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और पारस्परिक हित के तौर-तरीकों के संदर्भ में अब जिन बुनियादी चीजों की बात की जाती है, उनमें से अधिकांश का श्रेय वाजपेयी को ही जाता है। 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों के बारे में जयशंकर ने लोगों से आग्रह किया कि वे न केवल परीक्षणों को देखें बल्कि उसके बाद की कूटनीति को भी देखें।
वाजपेयी को विश्व की बहुत सूक्ष्म और गहन समझ थी- जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि वह आतंकवाद की चुनौतियों से भली भांति वाकिफ थे। वाजपेयी ने पड़ोसियों के साथ संबंध विकसित करने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया, जो खुले तौर पर आतंकवाद को खत्म करने के लिए थे। वाजपेयी को समकालीन विश्व की बहुत सूक्ष्म और गहन समझ थी और उन्होंने भारत के संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंधों को बदलने में भी मदद की।