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हिंद महासागर में चीन को पटखनी देने का खाका तैयार, अफ्रीकी देश बनेंगे जरिया

हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के इरादे से भारतीय सेना अफ्रीकी देशों के साथ इस साल मार्च में इंडिया-अफ्रीका फील्ड ट्रेनिंग नाम से पुणे में इस अभ्यास में तंजानिया और केन्या समेत कई अफ्रीकी देश हिस्सा लेंगे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 06:51 AM (IST)
हिंद महासागर में चीन को पटखनी देने का खाका तैयार, अफ्रीकी देश बनेंगे जरिया

नई दिल्ली [जागरण स्‍पेशल]। भारत-अफ्रीका के बीच राजनयिक और सैन्य संबंधों को मजबूत करने और हिंद महासागर में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के इरादे से भारतीय सेना अफ्रीकी देशों के साथ इस साल मार्च में इंडिया-अफ्रीका फील्ड ट्रेनिंग नाम से पुणे में इस अभ्यास में तंजानिया और केन्या समेत कई अफ्रीकी देश हिस्सा लेंगे। जिस तरह चीन ने अफ्रीकी देशों में पैठ बनाई है, कुछ वैसे ही हिंद महासागर में प्रभुत्व बनाए रखने के मद्देनजर भारत भी अफ्रीकी देशों के साथ सैन्य संबंध लगातार मजबूत कर रहा है।

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हिंद महासागर का महत्‍व
हिंद महासागर का भारत और अफ्रीका के लिए समान सामरिक, सुरक्षात्मक और रणनीतिक महत्व है। इसके विकास के लिए दोनों ही पक्ष बेहतर पहल कर सकते हैं। भारत की रणनीति अफ्रीका में चीन की चमक फीकी कर अपनी चमक बिखेरने की है। बात चाहे एशिया-अफ्रीका विकास गलियारे की हो या भारत-अफ्रीकी सम्मेलनों में भारत की बढ़ती रुचि की, भारत की सभी कोशिशें चीन को एशिया और अफ्रीका में घेरने की है। लेकिन यह भी साफ है कि अफ्रीका में चीन की बराबरी करने के लिए भारत को अभी लंबी दूरी तय करनी है।

18-27 तक होगा आयोजित
भारत और अफ्रीकी देशों के बीच यह अभ्यास पुणे में 18 से 27 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है। इसमें 12 से भी ज्यादा अफ्रीकी देश हिस्सा ले रहे हैं। इनमें तंजानिया, घाना, दक्षिण अफ्रीका, केन्या आदि शामिल हैं। हालांकि भारतीय सेना कई अफ्रीकी देशों की सेनाओं को पहले से ही प्रशिक्षण देती आई है, लेकिन इंडिया-अफ्रीका फील्ड ट्रेनिंग युद्धाभ्यास अपने आप में अनोखा होगा।यह अभ्यास ऐसे वक्त हो रहा है, जब भारतीय सेना अपने सबसे व्यस्त दौर से गुजर रही है। 2018 में भारतीय सेना अमेरिका, रूस, चीन और ब्रिटेन जैसे ताकतवर देशों के साथ युद्धाभ्यास पहले ही खत्म कर चुकी है।

इन देशों के साथ भी भारत ने किया है युद्ध अभ्‍यास
यही नहीं भारत ने ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और आसियान देशों में शामिल सिंगापुर, वियतनाम, मलयेशिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों के साथ भी युद्ध कौशल साझा किए हैं।हाल ही में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत तंजानिया और केन्या के दौरे पर गए थे। जहां उन्होंने रक्षा सहयोग पर विस्तार से चर्चा की थी। इसके इतर भारत और दक्षिण अफ्रीका के रिश्ते पहले से ही मजबूत, व्यापक और उच्च स्तर के रहे हैं। अक्टूबर में ही भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने अपने पोतों और लड़ाकू विमानों को नौसैनिक अभ्यास के लिए उतारा था। लेकिन भारत ने अब तक दूसरे अफ्रीकी देशों के साथ ऐसा द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यास नही किया है।

जिबूती में चीन का सैन्‍य बेस
आपको यहां पर बता दें कि चीन ने जुलाई 2017 में अफ्रीका में जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य ठिकाना  तैयार किया था। हालांकि जिबूती में पहले से ही अमरीका, जापान और फ्रांस का भी सैन्‍य अड्डा है। जिबूती को अपना सैन्‍य अड्डा बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह उसकी भौगोलिक स्थिति है। इसके अलावा यह एक व्यस्त शिपिंग मार्ग पर पड़ने वाला देश भी है। दूसरा यहां के राजनीतिक हालात अन्‍य अफ्रीकी देशों की तुलना में काफी स्थिर हैं। 

चीन की कर्ज नीति का झांसा
यहां पर आपको ये भी बताना जरूरी होगा कि चीन ने जिबूती को इथोपिया की राजधानी एडिस एबाबा तक जोड़ने के लिए रेलवे लाइन में निवेश किया है। दरअसल, चीन लगातार अफ्रीका में निवेश के स्तर को बढ़ा रहा है, साथ ही वह पिछले कुछ सालों में अपनी सेना के आधुनिकीकरण पर भी बहुत ध्यान दे रहा है। बीते वर्ष चीन ने रणनीतिक और सैन्‍य बढ़त बनाने के लिए परमाणु पनडुब्‍बी से लेकर स्‍वदेशी युद्धपोत और फाइटर जेट का भी निर्माण कर सेना में शामिल किया है। इसके अलावा भारत को सीमित रखने के लिए भी वह लगातार अपनी कर्ज नीति के तहत भारत के पड़ोसी देशों को अपने चंगुल में फंसा रहा है।  


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