दिल्ली में कैसे जीत गई BJP, महाराष्ट्र-हरियाणा वाला फॉर्मूला आया काम या क्या कुछ और है कहानी?
भाजपा ने 70 विधानसभा सीटों में से 48 सीटें जीतकर 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की है और एक दशक बाद आप को सत्ता से बेदखल कर दिया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार के बाद केजरीवाल ने चुनाव हारने वाले आप उम्मीदवारों से भी मुलाकात की। वहीं भाजपा की जीत का श्रेय आरएसएस को भी दिया जा रहा है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाने वाले आरएसएस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित कर दी।
दिल्ली में भाजपा समर्थित मतदाताओं को जागरूक करने और उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाने में आरएसएस के स्वयंसेवकों की अहम भूमिका रही। इसके लिए आरएसएस ने अपनी कार्यपद्धति के अनुरूप गली-मोहल्लों में तीन लाख से अधिक छोटी-छोटी बैठकें की।
भाजपा-आरएसएस के बीच की दूरी कम
हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय के साफ है कि दोनों का शीर्ष नेतृत्व लोकसभा चुनाव के पहले पैदा हुई दूरी को पाटने में काफी हद तक सफल रहा है।
कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम
वैसे दिल्ली के विधानसभा चुनाव की घोषणा के काफी पहले ही आरएसएस के स्वयंसेवक इसकी तैयारियों को लेकर सक्रिय हो गए थे। ऐसे लोगों, जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है, की पहचान कर उनका नाम शामिल कराने में स्वयंसेवकों ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम किया। इसके बाद दिसंबर से ही छोटी-छोटी बैठकों का दौर शुरू हो गया।
केजरीवाल ने मोहन भागवत को लिखा था पत्र
आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार बैठकों में अच्छे उम्मीदवारों के मत देने के साथ-साथ 100 फीसद मतदान सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाता था। आरएसएस की सक्रियता और विधानसभा चुनाव में असर को भांपते हुए अरविंद केजरीवाल ने मोहन भागवत को पत्र लिखकर भाजपा के कामकाज को आरएसएस की विचारधारा के विपरीत बताया। लेकिन आरएसएस ने केजरीवाल के सियासी पत्र को कोई तवज्जो नहीं दी।
वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई
आम लोगों को जागरूक करने के साथ ही भाजपा और आरएसएस के बीच सभी स्तरों पर समन्वय सुनिश्चित किया गया। इसके लिए दिसंबर के तीसरे हफ्ते में दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश प्रभारियों के साथ आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में आरएसएस के सह सरकार्यवाह और भाजपा के प्रभारी अरुण कुमार भी मौजूद थे।
समन्वय की रूपरेखा को अंतिम रूप
सूत्रों के अनुसार, बैठक में उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने और मतदान के दिन मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए भाजपा और आरएसएस के बीच समन्वय की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया गया। 2020 की तुलना में कम मत प्रतिशत के बावजूद भाजपा की बड़ी जीत के पीछे मतदाताओं को मतदान केंद्र पहुंचाकर मतदान सुनिश्ति कराने को अहम माना जा रहा है।
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