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    'वो INDIA को HINDIA बनाना चाहते हैं', भाषा विवाद में एक्टर कमल हसन की एंट्री; केंद्र सरकार पर साधा निशाना

    Updated: Wed, 05 Mar 2025 03:59 PM (IST)

    तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने परिसीमन के मुद्दे पर तमिलनाडु के राजनीतिक दलों की सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में कमल हासन ने भी शिरकत की थी। बैठक के दौरान एक्टर ने कहा कि केंद्र सभी राज्यों को हिंदी बोलने के लिए प्रेरित करने और बहुमत से चुनाव जीतने का प्रयास कर रहा है। हमारा सपना भारत है। उनका सपना हिंदिया है।

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    भाषा विवाद के बीच कमल हासन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।(फोटो सोर्स: पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच जारी भाषा युद्ध पर एक्टर और नेता कमल हासन (Kamal Hassan) ने बुधवार को टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार India को 'Hindia' बनाना चाहती है।

    आज तमिलनाडु के  सीएम एमके स्टालिन ने परिसीमन के मुद्दे पर तमिलनाडु के राजनीतिक दलों की सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इस बैठक में कमल हसन ने भी शिरकत की थी।  

    उन्होंने आज सुबह (बुधवार) तमिल पार्टियों की एक बैठक में कहा, "केंद्र सभी राज्यों को हिंदी बोलने के लिए प्रेरित करने और बहुमत से चुनाव जीतने का प्रयास कर रहा है। हमारा सपना 'भारत' है। उनका सपना 'हिंदिया' है।" बैठक के बाद 'हिंदी लागू करने' और परिसीमन पर एक प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया।

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    परिसीमन लागू करने से तमिलनाडु होगा प्रभावित: कमल हासन

    कमल हासन ने साल 2026 में प्रस्तावित परिसीमन पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि चाहे जिस तरह से भी परिसीमन किया जाए तमिलनाडु प्रभावित होगा और केवल गैर-हिंदी भाषी राज्य ही प्रभावित होंगे, जिससे देश के संघीय ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, यह आरोप तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी लगाया।,

    कमल हसन ने कहा, "जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के परिसीमन का मुद्दा सिर्फ़ तमिलनाडु के लिए ही चिंता का विषय नहीं है; यह आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे राज्यों को भी प्रभावित करता है।"

    हिंदी भाषा पर क्या बोले कमल हसन?

    एक्टर ने कहा,"हम एक समावेशी भारत की कल्पना करते हैं, लेकिन वे 'HINDIA' बनाना चाहते हैं। जो चीज टूटी ही नहीं है, उसे ठीक करने की कोशिश क्यों करें? एक कार्यशील लोकतंत्र को बार-बार बाधित करने की कोई जरूरत नहीं है। चाहे निर्वाचन क्षेत्रों का फिर से निर्धारण कैसे भी किया जाए, सबसे ज्यादा प्रभावित हमेशा गैर-हिंदी भाषी राज्य ही होंगे।"