सवर्णों पर छत्तीसगढ़ सरकार के खत से गरमाई आरक्षण की राजनीति
राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में सवर्णो के आय का प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी जारी करेंगे। ...और पढ़ें
रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। इस बार सरकार के एक पत्र से सोशल मीडिया पर आरक्षण को लेकर मुहिम चल पड़ी है। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में सवर्णों के आय का प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी जारी करेंगे।
यह पत्र वायरल होते ही वेबपोर्टल खबर चलाने लगे कि प्रदेश में सवर्ण आरक्षण लागू हो गया है। हालांकि, दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया ने जब आदेश के बारे में प्रदेश सरकार के उच्चाधिकारियों से पूछा तो पता चला कि इस बारे में गलतफहमी हो गई है।
सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर सवर्णों का आय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम प्राधिकारियों की नियुक्ति की है। इस आदेश के आते ही यह हवा उड़ गई कि प्रदेश में सवर्णों को आरक्षण मिल जाएगा, जबकि हकीकत यह है कि आय प्रमाण पत्र की जरूरत तो वैसे भी पड़नी ही है, इसलिए प्राधिकारियों की नियुक्ति करना सरकार की मजबूरी थी।
दरअसल, केंद्र सरकार के कानून पास करने के बाद केंद्रीय सेवाओं और केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थाओं में सवर्णों को दस फीसद आरक्षण का लाभ तो मिलेगा ही। भले ही प्रदेश में नौकरी और शिक्षा में आरक्षण का लाभ न मिल रहा हो। ऐसे में प्रमाण पत्र होगा तभी केंद्र में लाभ मिलेगा।
प्रमाण पत्र राज्य सरकार देती है। इसीलिए प्रमाण पत्र के लिए अफसरों की नियुक्ति की गई है। लेकिन, इस आदेश के आने के बाद प्रदेश में आरक्षण का मुद्दा फिर जोर पकड़ने लगा है।
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ओबीसी के आरक्षण पर पहले से फंसा है पेच-
छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 14 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है। ओबीसी वर्ग वर्षो से प्रदेश में 27 फीसद आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर आंदोलित है। तमिलनाड़ू समेत कुछ अन्य राज्यों में 27 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है। इससे उन राज्यों में कुल आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित आरक्षण की सीमा 50 फीसद से ज्यादा हो गया है। छत्तीसगढ़ में ओबीसी आबादी करीब 45 फीसद है। आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं मिल रहा है। सवर्ण आरक्षण पर चर्चा शुरू होते ही ओबीसी वर्ग नाराजगी जताने लगा है।
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एससी आरक्षण का भी मामला लंबित-
छत्तीसगढ़ में पहले अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 16 फीसद आरक्षण दिया जा रहा था। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने कुछ साल पहले आरक्षण कोटे का पुनर्निर्धारण किया और एससी आरक्षण का कोटा 16 से घटाकर 12 फीसद कर दिया। चार फीसद की कटौती के बाद से ही एससी वर्ग आंदोलित है। सवर्ण आरक्षण का मुद्दा उठने के बाद फिर से एससी-ओबीसी संयुक्त मंच गठित करने की बात कही जा रही है।
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एसडीएम और तहसीलदार बनाएंगे प्रमाण पत्र
सवर्ण आरक्षण के लिए सालाना आठ लाख की आय सीमा निर्धारित की गई है। आय प्रमाण पत्र के लिए संबंधितों को एसडीएम या तहसीलदार के पास आवेदन देना होगा। इन्हें ही सक्षम प्राधिकारी बनाया गया है। सक्षम प्राधिकारी आवेदनों की जांच करेंगे और मौके पर जाकर आय कितनी है यह पता करेंगे। इसके बाद प्रमाण पत्र जारी किया जा सकेगा।

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