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    Gujarat Election 2022: जयराम रमेश ने बताया गुजरात में कांग्रेस के हार की वजह, प्रदेश नेतृत्व पर उठे सवाल

    By Piyush KumarEdited By:
    Updated: Fri, 09 Dec 2022 11:02 PM (IST)

    गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम आने के बाद शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में जयराम रमेश ने मीडिया से बातचीत में माना कि गुजरात के परिणाम बेहद निराशाजनक हैं। वोट प्रतिशत 40 से घटकर 27 पर प्रतिशत रह गया।

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    कांग्रेस पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश की फाइल फोटो।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आखिरकार उत्तर प्रदेश की तरह ही कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में करारी हार का ठीकरा भी प्रदेश नेतृत्व के सिर फोड़ दिया है। हार को स्वीकार करने के साथ ही पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि मुकाबला सिर्फ कांग्रेस और भाजपा के बीच नहीं था, बल्कि भाजपा का अघोषित गठबंधन एआइएमआइएम और आम आदमी पार्टी के साथ था। हालांकि, इस हार को निराशाजनक बताते हुए उन्होंने आत्मचिंतन और स्थानीय नेतृत्व को लेकर सख्त निर्णय की बात कही, जिससे साफ है कि पार्टी हाईकमान गुजरात में सिरे से संगठन के पत्ते फेंटने का मन बना चुका है।

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    पार्टी को आत्मचिंतन करने की जरूरत: जयराम रमेश

    गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम आने के बाद शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में जयराम रमेश ने मीडिया से बातचीत में माना कि गुजरात के परिणाम बेहद निराशाजनक हैं। वोट प्रतिशत 40 से घटकर 27 पर प्रतिशत रह गया। हालांकि, आस जताई कि अगले चुनाव में यह वोट प्रतिशत फिर 27 से बढ़कर 40 भी हो सकता है।

    उन्होंने कहा कि गुजरात में पार्टी के लिए आत्मचिंतन, प्रदेश नेतृत्व को लेकर सख्त निर्णय और एकजुट होने का समय है। प्रदेश में अब नए चेहरों को नेतृत्व सौंपने पर गहनचिंतन और फैसले का वक्त आ गया है। हार की स्वीकारोक्ति के साथ जयराम बचाव में दलीलें भी देते नजर आए।

    प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने की रैलियां

    जयराम रमेश ने आगे कहा, 'गुजरात में जी-20 छोड़िए, जी-2 यानी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने रैलियां कीं। आचार संहिता का उल्लंघन भी किया। कांग्रेस की शिकायतों का संज्ञान नहीं लिया गया। साथ ही आरोप लगाया कि वहां कांग्रेस के खिलाफ एआइएमआइएम और आम आदमी पार्टी का अघोषित गठबंधन था। डर और भय का माहौल तैयार किया गया।'

    संचार महासचिव ने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव एक साथ होने थे, लेकिन अलग-अलग कराए गए। प्रधानमंत्री ने सिर्फ गुजरात पर फोकस नहीं किया, बल्कि हिमाचल में भी दस रैलियां कीं। वहां उनका चुनाव प्रचार नाकामयाब साबित हुआ। इसी तरह गुजरात छोड़कर सारे देश के नतीजे देखें तो वह भाजपा के खिलाफ ही आए हैं।

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