'बहस के लिए सोनिया गांधी को खुली चुनौती', विशेष बातचीत में बोले पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
सोनिया गांधी ने ग्रेटर निकोबार प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हुए इसे पर्यावरण और जनजाति के लिए खतरा बताया है। जवाब में भूपेंद्र यादव ने इसे जानकारी का अभाव बताकर बहस की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस गलत जानकारी देकर भ्रम फैलाती है। भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के मुद्दे पर सोनिया गांधी को खुली बहस करने का आव्हान किया।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के नैरेटिव पर चल रही भाजपा सरकार के ग्रेटर निकोबार प्रोजेक्ट पर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सवाल खड़ा किया है और इसे पर्यावरण व स्थानीय जनजाति के लिए खतरा बताया है। जवाब में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसे जानकारी का अभाव बताते हुए खुली बहस की चुनौती दी है।
उनका मानना है कि कांग्रेस हमेशा से यही करती है। गलत जानकारी देकर लोगों को भ्रमित करती है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में बतौर चुनाव प्रभारी भाजपा की अप्रत्याशित जीत में भूमिका निभाने वाले भूपेंद्र ने राजनीतिक स्थिति पर भी दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा से लंबी बात की। पेश है एक अंश -
सोनिया गांधी ने हाल में निकोबार द्वीप समूह में परियोजना पर सवाल खड़़ा किया है?
उत्तर- मैं तो कहूंगा कि उन्हें पर्याप्त जानकारी ही नहीं दी गई। पहली बात यह है कि यह प्रोजेक्ट में निकोबार के कुल हिस्से का 2 फीसद से भी कम हिस्सा लिया गया है। दूसरी और सबसे अहम बात यह है कि डब्लूआईआई, जीएसआई जैसे पारिस्थिकी तंत्र का अध्ययन करने वालों की रिपोर्ट भी सामने है। क्या सोनिया गांधी ने उसे देखा है। लेकिन रोचक बात यह है कि जब अपने शासनकाल में इंदिरा गांधी की मूर्ति स्थापित करनी थी तब तो किसी से कोई चर्चा ही नहीं हुई। आज जब देश की सुरक्षा के लिए परियोजना पर काम होना है तो अधूरे अध्ययन के साथ सवाल खड़े कर रही हैं। उन्हें और अध्ययन करना चाहिए।
उन्होंने तो कहा है कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे जा रहे है। वहां की जनजाति और बायोडाइवर्सिटी को नुकसान पहुंच सकता है।
उत्तर- राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय विकास के मुद्दे पर मैं सोनिया जी को खुली बहस की चुनौती देता है। वह सारे डेटा लेकर आएं। स्थान वही चुन लें। देश के सामने स्पष्ट हो जाएगा। इकोलाजी और इकोनमी एक साथ कैसे चले हम इस पर काम कर रहे हैं। वहां एक बंदरगाह बन रहा है जो देश की सुरक्षा के लिए है। कंपनसेटरी एफोरेस्टेशन के तहत एनसीआर में एक नये हरित क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। पर्यावरण का मुद्दा तो भाजपा के लिए उतना ही अहम है जितना राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास। हम संतुलन के साथ आगे बढ़ते हैं और निरोबार प्रोजेक्ट में यह बखूबी झलकता है।
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव हो या कोई दूसरा मुद्दा आपकी पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा का नैरेटिव खड़ा कर देती है। निकोबार प्रोजेक्ट हो या बिहार चुनाव?
उत्तर- तो क्या इसमें कोई शक है कि निकोबार प्रोजेक्ट हमारे मैरीटाइम सुरक्षा और विकास में बड़ी जिम्मेदारी निभाएगा। आपने बिहार चुनाव की बात की तो मैं बता दूं कि राष्ट्रीय सुरक्षा हर किसी के अहम है। लोहिया जी के सबसे लंबे भाषण राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर ही थे। उससे भी बड़ी बात यह है कि हमारा नैरेटिव हमारी प्रामाणिकता पर आधारित होता है।
क्या आपको लगता है कि नैरेटिव का चुनाव पर असर होता है या फिर यह मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए होता है। आप ऑपरेशन सिंदूर की बात कर रहे हैं और राहुल गांधी वोट चोरी का नैरेटिव गढ़ रहे हैं।
उत्तर- नैरेटिव और स्लोगन में फर्क होता है। वह जो कर रहे हैं वह नारों के अलावा कुछ नहीं है। आरोप लगाया फिर भूल गए। फिर कोई नया आरोप लगाया और भाग लिए। लेकिन नैरेटिव समाज में उभरती समस्याओं के लिए शासन का एक विजन पेपर होता है। भाजपा ने अगर 1950 से ही जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया तो अवसर मिलने पर 2019 में आकर उसे पूरा भी किया। राष्ट्रीय सुरक्षा हमारे लिए अहम है तो शासन की नीति में दिखेगा। इसलिए हमारा नैरेटिव प्रभावी होता है। कांग्रेस के बारे में लोगों को यही पता नहीं कि वह क्या है। 1950 में कांग्रेस समाजवादी थी, उसके बाद लाइसेंसवादी थी, उसके बाद ओपन इकोनमी के साथ थी। लोगों को पता ही नहीं कि कांग्रेस गांधीवादी विचारधारा से है, समाजवादी है या बाजारवादी विचारधारा से है। इसलिए वह नारों का सहारा लेते हैं। इतिहास गवाह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कांग्रेस के लिए अहम रहा ही नहीं। इसीलिए अब उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रोजेक्ट भी समझ नहीं आते हैं।
यह सही है कि आपने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों में जीत दिलाई लेकिन पश्चिम बंगाल क्या सबसे कठिन साबित होने वाला है?
उत्तर- मैं पार्टी के नेतृत्व का आभार व्यक्त करता हूं कि पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी है। मेरा मानना है कि वहां इस बार भाजपा की मजबूत सरकार बनेगी और बंगाल को हिंसा, भ्रष्टाचार और द्वेष की राजनीति से मुक्ति मिलेगी। अभी इससे ज्यादा नहीं कहना चाहूंगा।
लेकिन यह तो कह सकते हैं कि जहां सरकार हो वहां चुनाव लड़ना आसान होता है या जहां पार्टी विपक्ष मे हो। क्योंकि खुलकर आरोप लगाने की स्वतंत्रता होती। सत्ता में रहते हुए रेवड़ी बांटने की।
उत्तर- हर बात में प्रामाणिकता ही सबसे महत्वपूर्ण होता है। अरविंद केजरीवाल, केसीआर जैसे कई नेताओं ने बहुत रेवड़ी बांटी लेकिन हार गए। रेवड़ी सबकुछ नहीं होता है। मतदाता राजनीतिक दलों की सोच, विकास को लेकर उसकी नीतियों, भ्रष्टाचार के खिलाफ उसके रिकार्ड को देखते हैं, परखते हैं फिर वोट देते हैं। आपातकाल के बाद जनता लोकतंत्र बचाने के लिए आगे आई, 1989 में राजीव गांधी के भ्रष्टाचार के खिलाफ आई तो , अटल जी के नेतृत्व में बहुदलीय गठबंधन को जनता ने चुना और 2014 के बाद मजबूत सरकार के लिए लगातार वोट कर रहे हैं। आप सत्ता में हों या विपक्ष में, आपकी बात तभी सुनी जाएगी जब उसे पूरा करने की प्रामाणिकता हो। आपके नेतृत्व की क्षमता हो।
आपने नेतृत्व की क्षमता की बात की लेकिन कई विधानसभा चुनावों में आप बिना चेहरे के ही जाते हैं। क्या इसमें बदलाव होना चाहिए?
उत्तर- यह परिस्थिति पर निर्भर करता है। कई बार पार्टी की नीति ही चेहरा बनकर सामने आती है। कोई भी आए वह उसी नीति पर चलेगा यह पार्टी की जिम्मेदारी होती है। मतदाता शासन व्यवस्था के लिए वोट करते हैं। कई बार चुनाव सामूहिकता के आधार पर जीते गए हैं, कई बार आंदोलन से पैदा हुए माहौल में जनता फैसला करती है। लेकिन कुछ दल हमेशा से एक नीति पर चलते हैं। जैसे भाजपा और उसके पहले जनसंघ तो राष्ट्रवाद से जुड़ा रहा है। लेकिन हम मजबूती के साथ 1999 से आए। पहले वाजपेयी जी की सरकार बनी थी और 2014 के बाद तो हम बहुत मजबूत होकर आए। यानी मतदाता तात्कालिक मुद्दों से ऊपर उठकर भी वोट देती है और तात्कालिक मुद्दों पर भी।
भाजपा की ओर से लगातार घुसपैठ का मुद्दा बनाया जा रहा है। लेकिन झारखंड और उससे पहले पश्चिम बंगाल में भी आपको इसका लाभ नहीं मिला था। क्या इस मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ ध्रुवीकरण तेज हो जाता है।
उत्तर- यह समझना ही गलत होगा कि घुसपैठ और मुस्लिम समाज दोनों एक विषय है। भाजपा कोई मुस्लिम समाज के खिलाफ तो है नहीं। बांग्लादेश घुसपैठ तो सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए चुनौती है। सीमावर्ती क्षेत्र के मुसलमान भी घुसपैठ से परेशान हैं। घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ जुड़ा हुआ विषय है। जो लोग इसे संकीर्ण नजरिए से देख रहे हैं वह गलत कर रहे हैं।
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