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    सांसदों के निलंबन पर चार दलों के नेताओं को भेजे सरकार के निमंत्रण को विपक्ष ने किया खारिज

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Mon, 20 Dec 2021 07:08 AM (IST)

    विपक्ष ने रविवार को राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे को हल करने के लिए सरकार द्वारा चार दलों के नेताओं को भेजे गए निमंत्रण को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह सत्र 23 दिसंबर को खत्म हो रहा है।

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    राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर गतिरोध जारी।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। विपक्ष ने रविवार को राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे को हल करने के लिए सरकार द्वारा चार दलों के नेताओं को भेजे गए निमंत्रण को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। राज्यसभा में नेता पीयूष गोयल द्वारा सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर चर्चा और इसके समाधान के लिए बैठक के आह्वान के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोमवार सुबह बैठक के लिए चार राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था।

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    विपक्षी दलों ने शीतकालीन सत्र के आखिरी सप्ताह के दौरान अपनी साझा रणनीति तैयार करने के लिए सोमवार सुबह एक बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जोशी को लिखे पत्र में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने सभी विपक्षी नेताओं के बजाय केवल चार दलों को आमंत्रित किया।

    तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, एक ऐसी सरकार का सोमवार सुबह का 'स्टंट' जो संसद को संचालित नहीं होने देना चाहती। सरकार ने उन चार दलों के नेताओं को बुलाया है जिनके 12 राज्यसभा सदस्यों को मनमाने तरीके से निलंबित कर दिया गया। इससे पहले शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था कि सरकार ने पांच दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है। उनका कहना था कि विपक्षी नेता सोमवार सुबह संसद में बातचीत करेंगे और सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने के संबंध में फैसला लेंगे।

    दोनों सदनों में हावी रहा हंगामा

    वहीं विपक्ष के लिए राजनीतिक रूप से यही फायदेमंद है कि निलंबन के बहाने विपक्षी एकजुटता बनी रहे। दूसरी तरफ, लोकसभा में अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग पर सरकार ने संकेत दिया है कि इस्तीफा नहीं होगा, क्योंकि लखीमपुर खीरी मामले में प्रत्यक्ष रूप से केंद्रीय मंत्री आरोपित नहीं हैं। वैसे भी मामला कोर्ट के सामने लंबित है। गौरतलब है कि 25 दिनों के इस शीतकालीन सत्र में कुछ दिनों को छोड़ दें तो अब तक दोनों सदनों में ज्यादातर हंगामा ही हावी रहा है।