'लोकसभा चुनावों को बदनाम करने के लिए चलाया जा रहा झूठा अभियान', चुनाव आयोग को ऐसा क्यों कहना पड़ा?
Election Commission of India भारत निर्वाचन आयोग ने वोट फॉर डेमोक्रेसी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में लोकसभा चुनाव में घोषित मतदान प्रतिशत के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों में बड़ा अंतर होने का दावा किया गया था। मगर अब चुनाव आयोग का कहना है कि चुनावी कानून के तहत प्रक्रिया का पालन किया गया है। कांग्रेस ने भी रिपोर्ट के आधार पर सवाल उठाए थे।
पीटीआई, नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने रविवार को कहा कि लोकसभा चुनावों को बदनाम करने के लिए झूठा अभियान चलाया जा रहा है। आयोग ने उस रिपोर्ट को को खारिज कर दिया, जिसमें लोकसभा चुनाव में शुरूआत में घोषित मतदान प्रतिशत के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों के बीच असामान्य रूप से बड़ा अंतर होने की बात कही गई थी।
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चुनाव आयोग का यह बयान कांग्रेस द्वारा शनिवार को वोट फॉर डेमोक्रेसी की रिपोर्ट का हवाला देने के एक दिन बाद आया है। इसमें लोकसभा मतदान प्रतिशत में वृद्धि के बारे में सवाल उठाए गए हैं और चुनाव आयोग से चिंताओं को दूर करने का आग्रह किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि शुरुआत में घोषित मतदान प्रतिशत के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों के बीच असामान्य रूप से बड़ा अंतर है।
बदनाम करने का झूठा अभियान चलाया जा रहा
चुनाव आयोग ने एक्स पर पोस्ट किया कि मानव इतिहास में अब तक के सबसे पारदर्शी तरीके से हुए सबसे बड़े चुनाव को बदनाम करने के लिए झूठा अभियान चलाया जा रहा है। मतदान के दिन शाम पांच बजे के अनुमानित मतदान प्रतिशत की तुलना वोटिंग के एक दिन बाद उपलब्ध मतदान प्रतिशत से करने का निराधार प्रयास किया गया है।
प्रक्रिया का पालन किया गया
चुनावी डाटा और नतीजे में पूरी तरह से चुनावी कानून के तहत प्रक्रियाओं का पालन किया गया। हालांकि किसी उम्मीदवार या निर्वाचक द्वारा चुनावी परिणाम को चुनौती देने का वैध तरीका चुनाव याचिका है, लेकिन कथित तौर पर ऐसे आधार पर कोई चुनाव याचिका दायर नहीं की जाती है। चुनाव याचिका (ईपी) नतीजों की घोषणा के 45 दिनों के भीतर दायर की जा सकती है। चुनाव आयोग ने कहा कि 2019 के संसदीय चुनावों में 138 ईपी की तुलना में 2024 में 79 सीटों पर ईपी दाखिल किए गए हैं।
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