तो वन नेशन-वन इलेक्शन पर बन जाएगी आम सहमति? JPC अध्यक्ष पीपी चौधरी ने क्यों कही ये बात
संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) के सभी सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। आठ जनवरी यानी आज समिति की पहली बैठक है। यह समिति एक राष्ट्र-एक चुनाव से संबंधित दो विधेयकों को जांच करेगी। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में दोनों विधेयकों के पेश किया था। विपक्ष इन विधेयकों का विरोध कर रहा है।

एएनआई, नई दिल्ली। एक देश-एक चुनाव विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय कमेटी (JPC) की आज पहली बैठक है। भाजपा सांसद और समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि सभी सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि आम सहमति बन जाएगी।
अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सभी लोगों की बात सुनी जाए। चाहे वह राजनीतिक दल हों, नागरिक समाज हों या न्यायपालिका। हम सभी का इनपुट लेना चाहते हैं। सरकार के विधेयकों की निष्पक्ष तरीके से जांच करेंगे। आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। विश्वास है कि हम सभी देश हित में काम करेंगे और आम सहमति बनाने में सफल होंगे।
पार्टी लाइन से ऊपर उठकर काम करेंगे
चौधरी ने कहा कि बैठक से पहले संबंधित मंत्रालय सभी सदस्यों को जानकारी देगा। इसके बाद सभी की राय लेंगे कि चरणबद्ध तरीके से आगे कैसे बढ़ना है। हमारा प्रयास पारदर्शी और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में आम सहमति बनाना का होगा।
जेपीसी में ये प्रमुख नेता शामिल
जेपीसी एक राष्ट्र-एक चुनाव विधेयक की जांच करेगी। कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, टीएमसी के कल्याण बनर्जी और भाजपा के पीपी चौधरी, बांसुरी स्वराज और अनुराग सिंह ठाकुर जेपीसी का हिस्सा हैं।
सरकार ने शीत सत्र में पेश किए थे विधेयक
केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक राष्ट्र-एक चुनाव को साकार करने वाले दो विधेयकों को लोकसभा में पेश किया। इसमें पहला विधेयक 129वां संविधान संशोधन विधेयक- 2024 और दूसरा विधेयक केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक- 2024 है। इन विधेयकों के पारित होने पर देश में एक साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा। मगर विपक्ष के विरोध के बाद विधेयक को जांच और चर्चा के लिए जेपीसी को भेजा गया।
संघीय ढांचे के खिलाफ विधेयक: विपक्ष
विपक्ष का कहना है कि एक राष्ट्र-एक चुनाव से सत्तारूढ़ दल को लाभ मिल सकता है। विपक्ष का यह भी कहना है कि राज्यों में क्षेत्रीय दलों की स्वायत्तता कम हो सकती है। एक तर्क यह भी है कि एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव वाले विधेयक संघीय ढांचे के खिलाफ हैं। जबकि केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का कहना है कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक और महत्वपूर्ण है।
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