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    EC ने तेलंगाना के मंत्री के चुनाव प्रचार पर लगाई 48 घंटे की रोक, मतदाताओं को धमकाने का किया था प्रयास

    By AgencyEdited By: Shashank Mishra
    Updated: Sat, 29 Oct 2022 09:10 PM (IST)

    Election Commission ने रेड्डी को कारण बताओ नोटिस में भाजपा (BJP) के एक नेता की शिकायत का हवाला दिया था। नोटिस में मंत्री के 25 अक्टूबर को दिए गए भाषण के अंग्रेजी अनुवाद का हवाला दिया गया है।

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    Election Commission के अनुसार मुनुगोड़े विधानसभा उपचुनाव 3 नवंबर को होगा।

    नई दिल्ली, पीटीआई। चुनाव आयोग ने शनिवार को तेलंगाना के ऊर्जा मंत्री गुंतकंदला जगदीश रेड्डी को मुनुगोड़े विधानसभा उपचुनाव में चुनाव प्रचार पर 48 घंटे के लिए रोक लगा दी है। पोल पैनल ने मंत्री के बयान की निंदा की है। हालांकि रेड्डी ने इस आरोप से इनकार किया लेकिन चुनाव आयोग ने कहा कि उनके भाषण का लहजा "मतदाताओं को डराने वाला" है। "संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत आयोग के आदेश पर शाम 7:00 बजे से 48 घंटे के लिए रोक लागू होगी। बता दें उपचुनाव 3 नवंबर को होगा।

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    चुनाव आयोग ने रेड्डी को कारण बताओ नोटिस भेजा

    चुनाव आयोग ने शुक्रवार को रेड्डी को कारण बताओ नोटिस में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की शिकायत का हवाला दिया था। नोटिस में मंत्री के 25 अक्टूबर को दिए गए भाषण के अंग्रेजी अनुवाद का हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा, "चुनाव कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी और राजगोपाल रेड्डी के बीच नहीं है। यह चुनाव है कि 2,000 रुपये की पेंशन जारी रखी जाए या नहीं।

    24 घंटे मुफ्त बिजली जारी रखनी है या नहीं।" उन्होंने कहा था, "अगर किसी को पेंशन में दिलचस्पी नहीं है, तो वह (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी को वोट दे सकता है। अगर किसी को योजनाएं चाहिए तो केसीआर (मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव) को वोट दें।"

    अपने जवाब में मंत्री ने कहा कि उन्होंने यह कहते हुए कभी कोई भाषण नहीं दिया कि अगर लोग चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को वोट नहीं देते हैं तो सभी कल्याणकारी योजनाओं को रोक दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि यह उनके द्वारा राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं को समझाने का एक प्रयास था।

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    उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेता के आरोप अस्पष्ट, झूठे, मनगढ़ंत और असत्य हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने कहा कि यह आश्वस्त है कि रेड्डी द्वारा दिए गए भाषण का लहजा "मतदाताओं को डराने की प्रकृति में है" और इस प्रकार आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

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