Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संसद के शीतकालीन सत्र के बीच मनीष तिवारी का सवाल- विधायिका कमजोर क्यों? लगाए कई आरोप

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 06:09 PM (IST)

    कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विधायिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कमजोर हो रही है। उन्होंने लोकसभा के कम कामकाज और पार्टी व्हिप को इसके कारण बताए। तिवारी ने कहा कि सांसद जनता के प्रतिनिधि कम, पार्टी कार्यकर्ता ज्यादा बन गए हैं। शीतकालीन सत्र में वित्त मंत्री ने तंबाकू उत्पादों पर टैक्स का प्रस्ताव रखा, जिससे रक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया जाएगा।

    Hero Image

    संसद के शीतकालीन सत्र के बीच मनीष तिवारी का सवाल (फोटो सोर्स- एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को आरोप लगाया कि आज भारतीय लोकतंत्र में कार्यपालिकाऔर न्यायपालिकाही मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, जबकि विधायिकालगभग गायब हो गई है।

    उन्होंने एक राष्ट्रीय अखबार में लिखे अपने लेख को एक्सपर साझा करते हुए पूछा, "संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन क्या सांसदों को नहीं सोचना चाहिए कि देश दो स्तंभों पर क्यों चल रहा है? विधायिका कहां गायब हो गई? इसके लिए जिम्मेदार कौन है?" अपने लेख में तिवारी ने लोकसभा के कम कामकाज, पार्टी व्हिप और दलबदल विरोधी कानून को विधायिका की कमजोरी के कारण बताए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कितने दिन बैठती है लोकसभा?

    मनीष तिवारी ने कहा कि लोकसभा की बैठक के दिनों का पैटर्न बहुत कुछ बताता है। उन्होंने लिखा कि पहली लोकसभा (1952-57) साल में करीब 135 दिन बैठती थी, जबकि आज की 17वीं लोकसभाजो एक बड़े और जटिल देश का प्रतिनिधित्व करती हैसाल में सिर्फ करीब 55 दिन ही बैठती है।

    उन्होंने यह भी कहा कि सांसद अब जनता के प्रतिनिधि कम और पार्टी के “कार्यकर्ता” ज्यादा बन गए हैं। उनके मुताबिक, पार्टी व्हिप के कारण सांसदों का वोट पहले से तय रहता है और व्हिप का उल्लंघन करने पर राजनीतिक खत्म होने का खतरा बना रहता है।

    इस बीच 18वीं लोकसभा का 6वां सत्र और राज्यसभा का 269वां सत्र 1 दिसंबर से शुरू हो गया है। लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Central Excise (Amendment) Bill, 2025 और Healthy Security se National Security Cess Bill, 2025 पेश किए।

    गुटखा-पान मसाला पर सख्त सरकार

    'Healthy Security se National Security Cess Bill, 2025' में तंबाकू से जुड़े उत्पादोंजैसे पान मसाला और गुटखापर कड़े टैक्स का प्रस्ताव है। इस टैक्स से रक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च के लिए फंड जुटाया जाएगा।यह कदम GST पुनर्गठन के दौरान पहले लगाए गए 'sin tax' के बाद दूसरा बड़ा कदम माना जा रहा है।

    'हम चुप नहीं बैठ सकते...', दिल्ली-NCR के प्रदूषण को लेकर SC सख्त; एक हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश